शादी के बाद जिले की 14 महिलाएं एचआईवी पॉजिटिव हो गई हैं। उन्हें यह गंभीर बीमारी पतियों से मिली है। इसका खुलासा तब हुआ, जब इन महिलाओं के गर्भवती होने के बाद डाक्टरों ने इलाज शुरू करने से पहले जांच कराई। एचआईवी संक्रमित पाए जाने पर सभी महिलाओं के पतियों की जांच कराई गई तो उनकी भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
कोरोना काल में अब इन महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुुनौती बना है। इन सभी महिलाओं का इलाज जिला अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर में किया जा रहा है।
शादी के बाद पहली बार गर्भवती होने पर ये महिलाएं इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंची थीं। डाक्टरों ने गर्भावस्था के दौरान की जाने वाली सभी जरूरी जांचों के साथ ही एचआईवी का भी टेस्ट कराया तो पता चला कि ये महिलाएं एचआईवी की चपेट में हैं।
इसके बाद सभी के पतियों की भी जांच कराई गई। उनकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। ऐसे में डाक्टरों का यह मानना है कि सभी महिलाओं को पतियों से ही यह बीमारी मिली है। पीड़ित सभी महिलाओं की उम्र 22 से 28 वर्ष के बीच है। ज्यादातर महिलाएं ग्रामीण इलाकों की रहने वाली हैं। इनमें से कई ऐसी भी हैं जिनका प्रसव का समय नजदीक आ गया है।
कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए गर्भवती एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं को अस्पताल नहीं बुलाया जा रहा है। घर पर ही उनकी नियमित जांच होती है।
एचआईवी पीड़ित महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था आहान की प्रोग्राम मैनेजर विमला यादव ने बताया कि एचआईवी पीड़ित गर्भवती महिलाओं की जांच के बाद उन्हें दवाएं घर पर पहुंचा दी जाती हैं। बच्चे के जन्म से लेकर 18 माह तक होने के अंतराल में तीन बार एचआईवी की जांच कराती हैं।
एचआईवी पीड़ित से शादी करने वाली चार और संक्रमित महिलाएं भी गर्भवती हैं। उनका भी इलाज चल रहा है। एचआईवी पीड़ित होने के बाद इनकी शादी भी संक्रमित पुरुषों के साथ कराई गई थी। अब गर्भवती होने के बाद उनका भी एआरटी सेंटर से इलाज चल रहा है।