शांति के प्रयासों के बीच पाक ने रची कारगिल युद्ध करने की साजिश,

कारगिल युद्ध न सिर्फ भारतीय सैनिकों के शौर्य और देश के प्रति उनके जज्बे को दर्शाता है, बल्कि यह युद्ध ठंडी बर्फीली वादियों में पाकिस्तान की नापाक साजिश को भी उजागर करता है। शांति के साझा प्रयासों के तहत जब दोनों देश 1999 में लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर रहे थे, उसी वक्त पाकिस्तान की सेना के नए जनरल बने परवेज मुशर्रफ भारत की पीठ में छुरा भोंकने को तैयार बैठे थे। कई किताबों और दस्तावेजों ने साफ किया है कि कारगिल की साजिश के पीछे परवेज मुशर्रफ का हाथ था। पाकिस्तान ने यह साजिश रची लेकिन फिर इस युद्ध की हार की शर्मिंदगी से बचने के लिए दुनिया के कई देशों से मध्यस्थता की गुहार भी लगाई। आइए इस दूसरी किस्त में जानते हैं कारगिल में पाकिस्तान की साजिश के बारे में।

फोन टैपिंग से भारत ने किया खुलासा: कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज और जनरल परवेज मुशर्रफ के बीच एक टेलीफोन वार्ता को टेप कर लिया। उस वक्त मुशर्रफ, नवाज शरीफ के साथ बीजिंग में थे। बातचीत के दौरान अजीज ने कहा कि कारगिल में योजना के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। साथ ही अजीज ने कहा कि मुशर्रफ इस बात का ध्यान रखें कि नवाज शरीफ किसी राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुके। फोन के दौरान दोनों ने पाकिस्तानी सेना की टुकड़ियों की तैनाती के बारे में भी बातचीत की। इस टेप का भारत ने व्यापक प्रचार किया और पाकिस्तानी साजिश दुनिया के सामने बेनकाब हो गई।

अपनों ने बताई मुशर्रफ की हकीकत: पाकिस्तान ने दावा किया कि इस युद्ध को लड़ने वाले सभी कश्मीरी आतंकी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से यह साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना परोक्ष रूप से इस युद्ध में शामिल थी। माना जाता है कि सेनाध्यक्ष बनने के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ ने ही इसे अंजाम दिया था। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी अपनी भूमिका से इंकार किया और मुशर्रफ को ही जिम्मेदार बताया। साथ ही मुशर्रफ के रिश्तेदार ले. जनरल (रि.) शाहिद अजीज ने अपनी पुस्तक ‘ये खामोशी कहां तक’ और पाक सेना में कर्नल रहे अशफाक हुसैन ने ‘विटनेस टू ब्लंडर-कारगिल स्टोरी अनफोल्ड’ नाम की किताब में मुशर्रफ की भूमिका को स्पष्ट किया और दोषी ठहराया।

पाकिस्तान में तख्तापलट: इस युद्ध के कारण पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता में इजाफा हुआ। नवाज शरीफ की सरकार को हटाकर परवेश मुशर्रफ राष्ट्रपति बने। दूसरी ओर भारत में युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल था। देश एकसूत्र में और मजबूती से एकजुट हुआ। भारत सरकार ने रक्षा बजट में इजाफा किया

कई देशों से लगाई गुहार: पाकिस्तान को जून आते-आते लगने लगा था कि उसे एक बार फिर अपमानजनक हार का मुंह देखना होगा। इसके बाद उसने ईरान से मध्यस्थता की अपील की, लेकिन ईरान ने यह अपील ठुकरा दी। वहीं 4 जुलाई को नवाज शरीफ ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के सामने इस संघर्ष को रोकने की गुहार लगाई। अमेरिका ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया। साथ ही अमेरिका जल्द से जल्द युद्ध बंद करवाना चाहता था। इससे पूर्व, पाकिस्तान ने अपने अजीज दोस्त चीन के दरवाजे पर पहुंचा, जहां से भी उसे बेहद ठंडी प्रतिक्रिया मिली।

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