शराब की लत से पाने चाहते हैं छुटकारा, तो जरूर लें ये थैरेपी वरना…

शराब या शराबी को देखने का भारतीय तरीका दुनिया से भिन्न है। जबकि भारत या प्राचीन आर्यावर्त में किसी न किसी रूप में शराब की उपलब्धता रही है। ऋग्वेद में सोम-रस का उल्लेख है। इसे सोमरस की उपाधि से नवाजा गया है।
शराब का प्रचलन हर युग में रहा है, लेकिन सभ्य समाज ने इसे कभी अच्छा नहीं माना। क्योंकि इसे पीने के बाद आदमी विवेक खोकर इतना मुखर और उद्दंड हो जाता है कि कोई भी गलत काम कर सकता है।
हालांकि दुनिया में ऐसे अनेक देश हैं, जहां इसे नैतिकता या चरित्रहीन की दृष्टि से नहीं देखा जाता है। कई देशों में तो इसे बाकायदा सामाजिक पेय माना जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि वहां के लोग शराब या शराबियों से परेशान न हों।
दरअसल, संकट उन शराबियों को लेकर है, जो ज्यादा पीने के लती हो गए हैं। ये लोग समाज और परिवार में सामाजिक-आर्थिक परेशानियां तो खड़ी करते ही हैं, सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र पर भी बोझ बढ़ाते हैं।
एक अध्ययन के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल अधिक शराब पीने की वजह से 30 लाख से भी ज्यादा लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग गुर्दे और यकृत खराब हो जाने के कारण मरते हैं। इसके अलावा मदिरा पीकर वाहन चलाने के कारण भी लाखों लोग प्रत्येक वर्ष दुर्घटना में मारे जाते हैं।

खोजा नया जीन

शराब के लत की समस्या वैज्ञानिकों के लिए लंबे समय से ही एक चुनौती के रूप में पेश आती रही है। क्या कारण है कि कुछ शराबी एक समय लती रहे होने के बावजूद छोड़ देते हैं, तो कुछ लोग थोड़ी बहुत पीकर हाथ खड़े कर देते हैं, अलबत्ता कुछ लोग ऐसे भी होते है, जो जब तक शरीर में जीवन है, तब तक शराब पीते ही रहते हैं।
किंतु अब यह खुशखबरी सामने आई है कि वैज्ञानिक अब इस विचित्र पहेली का हल ढूंढ़ने में सफल हो गए हैं। दरअसल, वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में एक ऐसा जीन खोज निकाला है, जो शराबियों को एक सीमा से अधिक शराब पीने से रोकता है। ‘बीटा-क्लोथो’ नाम का यह जीन व्यक्ति के भीतर शराब के ज्यादा सेवन को बाधित करने का अहसास जगाता है।
अमेरिका स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय ने इसके लिए एक लाख से भी ज्यादा लोगों पर शोध किया और निष्कर्ष में पाया कि जिन लोगों में वीटा-क्लोथो नामक जीन था, वे पीने के लती नहीं थे। इस परिणाम के बाद वैज्ञानिकों ने चूहों में जीन डालकर एक और प्रयोग किया।
नतीजे में पाया कि वीटा-क्लेथो जीन-धारी चूहे शराब के लती नहीं हुए। आगे के अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने पाया कि इस जीन की वजह से मनुष्य के यकृत में वीटा-क्लोथो नाम का एक हार्मोन पैदा होता है। इस हर्मोन के असर करने की प्रक्रिया बड़ी जटिल होती है।
लेकिन जब यह हार्मोन शरीर में सक्रिय हो जाते हैं, तब पीने वाले के मस्तिष्क को यह संदेश देता है कि अब बहुत हुआ, रुक जाओ, अन्यथा अनर्थ हो सकता है। इस प्रयोग के दौरान ही वैज्ञानिकों ने शराब पीने के लतियों को परिभाषित भी कर दिया। अर्थात जो लोग एक सप्ताह में 21 या उससे ज्यादा पैग शराब पीते हैं तो उन्हें ज्यादा पीने वालों की श्रेणी में रखा जा सकता है।

ऐसे छूटेगी लत

अब वैज्ञानिक दो तरीके से शराबियों की लत छुड़ाने की कोशिश में लगे हैं। एक तो यह कि शराबियों को वीटा-क्लेथो हार्मान से निर्मित दवा पिलाई जाए। ऐसा वे बिना कोई नैतिक शिक्षा प्राप्त किए अपनी स्व-प्रेरणा से यह दवा पीते रहें और शराब की लत से छुटकारा पाएं।
हालांकि इस उपचार-विधि का असर सीमित ही रहेगा, क्योंकि जब तक व्यक्ति दवा का नियमित सेवन करता रहेगा, तभी तक ज्यादा शराब पीने पर अंकुश लगा रहेगा। अगर वह दवा छोड़ देगा तो यथास्थिति बहाल हो जाएगी।
दूसरा तरीका है कि शराबी के शरीर में वीटा-क्लोथों जीन का ही प्रत्यारोपण कर दिया जाए। इसके बाद बार-बार दवा पीने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी। दुनिया में अब ऐसी ‘जीन-थैरेपी’ विकसित हो चुकी हैं, जिनके जरिए जीन का प्रत्यारोपण कोई मुश्किल काम नहीं रह गया है।
फिलहाल वीटा-क्लोथो नामक जीन के रूप में या जीन प्रत्यारोपण का काम तत्काल हो पाए या नहीं, इस बहाने एल्कोहॉलिक लोग यह कहकर अपना बचाव कर सकते हैं कि उनमें शराब की लत है तो इसके लिए वे नहीं, बल्कि वीटा-क्लोथो नामक जीन की कमी है, जो शराब की लत पर लगाम लगाता है।

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