शनिवार का ग्रह शनि ग्रह है। शनिवार की प्रकृति दारुण है। यह भगवान भैरव और शनि का दिन है। शनि हमारे जीवन में अच्छे कर्म का पुरस्कार और बुरे कर्म के दंड देने वाले हैं। कहते हैं कि जिसका शनि अच्छा होता है वह राजपद या राजसुख पाता है। यदि कुंडली में शनि की स्थिति निम्निलिखित अनुसार है तो शनिवारका व्रत करना चाहिए। आओ जानते हैं कि शनिदेव को कौनसी 10 बातें पसंद नहीं है। शनि के मूल मंदिर जाने से पूर्व उक्त बातों पर प्रतिबंध लगाएं।
1. जुआ-सट्टा खेलना2. शराब पीना,
3. ब्याजखोरी करना4. परस्त्री गमन करना,
5. अप्राकृतिक रूप से संभोग करना,
6. झूठी गवाही देना7. निर्दोष लोगों को सताना,
8. किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना
9. चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना
10. ईश्वर के खिलाफ होना
11. दाँतों को गंदा रखना,
12. तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना,
13. भैंस या भैसों को मारना,
14. सांप, कुत्ते और कौवों को सताना।
उपाय : सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें। शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ, और जूता दान देना चाहिए। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावे। छायादान करें, अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसो का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापो की क्षमा मांगते हुए रख आएं। दांत साफ रखें। अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।
सावधानी : कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें। उपरोक्त उपाय भी लाल किताब के जानकार व्यक्ति से पूछकर ही करें।