NEW DELHI: द ग्रेट खली ‘द ग्रेट खली’, एक ऐसा नाम है जिसने देश विदेश के कई पहलवानों के छक्के छुड़ा दिये और पहलवानी के क्षेत्र में अपने देश का नाम रोशन किया। दलीप सिंह राणा से जन्म लेकर पैदा हुए खली ‘द ग्रेट खली’ ने भारत में एक ऐसा मुकाम प्राप्त किया जिसे कोई पहलवान नही कर पाया था। साधारण गांव में जन्मे इस महाबली खली ने Professional Wrestling में हिस्सा लेकर अपने करियर को एक नया मुकाम दिया। वर्तमान में ‘द ग्रेट खली’ खली का नाम इतना चर्चित है की उनको देखने के लिए लोगो को भीड़ उमड़ पडती है। आइये आपको उस महाबली खली ‘द ग्रेट खली’ का जीवन परिचय बताते है जिसने एक साधारण गांव में जन्म लेकर देश का नाम रोशन किया।16 साल से इस शहर की मेयर थी एक बिल्ली, हो गया निधन
ऐसा रहा शुरुआती जीवन:- दलीप सिंह राणा का जन्म 27 अगस्त 1972 को हिमाचल प्रदेश के धिरियाना गांव के एक पंजाबी हिन्दू राजपूत परिवार में हुआ था। दलीप सिंह राणा के पिता का नाम ज्वाला रमा और माँ का नाम तांडी देवी है। ‘द ग्रेट खली’ दलीप सिंह राणा का परिवार एक बहुत गरीब परिवार था जिसमे उनके पिता को अपने सात बच्चो का पेट भरना बड़ा मुश्किल था। अपने सात भाई बहनों में दिलीप सिंह राणा बिलकुल अलग था क्योंकि वो अपने भाई बहनों से सबसे मजबूत कद काठी का था। कम उम्र में ही वो अपने वो अपने भीमकाय शरीर की वजह से हमेशा गांव वालो में जिज्ञासा का विषय बना रहता था।
गरीब परिवार होने की वजह से दिलीप ज्यादा पढ़ नही पाया और अपने माता पिता की आर्थिक मदद करने के लिए उसने काम ढूंढना शूरू कर दिया। अब पढ़े लिखे नही होने की वजह से उसको मजदूरी करने के अलावा ओर कोई काम नही मिल सकता था। शुरुवात में वो अपने गांव में ही मजदूरी किया करता था। उसको अधिकतर भारी भरकम पत्थरों को उठाने का काम दिया जता था क्योंकि उसकी कद काठी की वजह से लोग उसको वही काम देना पसंद करते थे। इसके बाद जब उन्हें ज्यादा पैसा कमाने की आवश्कयता पड़ी तो वो अपने गांव से शिमला के लिए रवाना हो गया और वहा पर मजदूरी करने लग गया।
उनके गांव के लोग खली के बारे में बताते है कि खली की कद काठी इतनी विशाल थी कि उनको रास्ते में गुजरता देख लोग उन्हें ताकते रह जाते थे। अपनी विशाल कद काठी की वजह से उनके पैरो की नाप के जूते तक बाजार में नही मिल पाते थे इसलिए वो बाजार में मोची से अपने नाप के जूते बनवाकर पहनते थे। खली को देखकर कई लोग उन्हें चिढाते भी थे जिसे देखकर कभी कभी उनको खुद पर भी गुस्सा आता था लेकिन वो अपने शरीर को लेकर कुछ नही कर सकते थे।
‘द ग्रेट खली’ खली को मजदूरी में जो पैसा मिलता था वो उनके परिवार के लिए पर्याप्त नही था क्योंकि उनकी कमाई का अधिकांश हिस्सा तो खुद उनके खाने में ही चला जाता था। कई बार उन्हें घर पर भेजने के लिए एक रुपया तक नही बच पाता था। ऐसा करते करते जब कई साल बीत गये और अब उनकी किस्मत बदलने वाली थी। एक दिन शिमला में पंजाब के एक पुलिस अफसर ने खली को देखा , जो उस समय शिमला में के जगह पर सिक्यूरिटी गार्ड था, तो वो उसकी कद काठी को देखकर दंग रह गये। उस पुलिस ऑफिसर ने खली को पंजाब आकर पुलिस में भर्ती होने का प्रस्ताव दिया।
यहां से हुई ‘द ग्रेट खली’ के करियर की शुरुआत:- 1993 में ‘द ग्रेट खली’ खली को पंजाब पुलिस में नौकरी मिल गयी। उस समय खली अपने भाई के साथ पंजाब आकर बस गये थे। इसके बाद खली के भाई को भी पंजाब पुलिस में नौकरी लग गयी थी। अब जालन्धर में ही उनकी कद काठी को देखते हुए उन्हें स्थानीय जिम में Wrestler बनने के लिए तैयार किया गया।
उन दिनों Wrestling अमेरिका में बहुत पोपुलर था लेकिन भारत का कोई भी Wrestler वहा पर टिक नही पाया था इसलिए उनको प्रोफेशनल Wrestler की ट्रेनिंग दी गयी थी। खली खाने-पीने के मामले में दुनिया भर के पहलवानों से बिल्कुल उलट विशुद्ध शाकाहारी हैं। वो नॉन-वेज बिलकुल नहीं खाते हैं और शराब को तो हाथ तक नहीं लगाते। यही वजह है कि डोपिंग के मामले में खली का रिकॉर्ड बेहद साफ-सुथरा है। उन्होंने कभी तंबाकू तक का इस्तेमाल नहीं किया।
खली रेसलिंग की दुनिया के सबसे लंबे खिलाड़ी हैं। उनकी लंबाई 7 फुट 1 इंच है। जबकि खली का वजन 157 किलो है, जो लगभग 347 पाउंड के बराबर है। लेकिन इस असमान्य शरीर के मालिक खली पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हैं। उन्हें बचपन से ही एक्रोमेगली नाम की बीमारी है, जिसकी वजह से उनका शरीर असाधारण तरीके से भीमकाय हो गया है।
इसी वजह से उनका चेहरा भी कुछ अजीब दिखता है। खली पंजाब पुलिस में बॉडीबिल्डिंग करते थे, और सन 1997 और 1998 में मिस्टर इंडिया रह चुके हैं। पंजाब पुलिस के तत्कालीन एडीजीपी एन एस भुल्लर ने खली को रेसलिंग में जाने से मना किया था। वे उनके विदेश जाने के फैसले से भी सहमत नहीं थे।
कैरियर की शुरुआत करते समय पैसों की तंगी के शिकार रहे खली रेसलिंग में कामयाब होने के बाद आज भले ही अमेरिका जाकर अमीर हो गए हैं, पर वो अपने गांव को नहीं भूल पाए। उन्होंने अपने गांव के विकास में काफी पैसा दान दिया। बचपन में लोग उन्हें दलबू कहकर पुकारते थे।
खली की ताकत का रेसलिंग की दुनिया में काफी खौफ पैदा किया। ऐसा इसलिए है कि एक बार करियर के शुरुआती दौर में उन्होंने ब्रायन ओंग नाम के रेसलर को 28 मई 2001 में सर के बराबर उठाकर रिंग में जोरदार तरीके से पटका था जिससे उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद उस समय की प्रमोशनल कंपनी ने ब्रायन के परिवार को 1.3 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया था।
खली का पसंदीदा मूव खली बंब है, जिसमें वो दोनों हथेलियों को एक साथ कर विपक्षी पर जोरदार वार करते हैं। उनके इस मूव को रेसलिंग की दुनिया के सबसे खतरनाक खिलाड़ी माने जाने वाले अंटरटेकर को सिर्फ मुक्के बरसाकर ही बेहोशी की हालत में ला जीत दर्ज कर चुके हैं। अंडरटेकर के आगे बड़े-बड़े सूरमा पानी मांगा करते थे, पर दांव माना जाता है। इसी के चलते 7 अप्रैल 2006 में कुछ देर के लिए खूंखार अंटरटेकर रिंग में ही बेहोश हो गया था और बाद में उसे मैच में हार का सामना करना पड़ा।
खली 2007-2008 में वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन रह चुके हैं। उन्होंने इस ताज को जान सीना, अंटरटेकर, ट्रिपल एच जैसे खूंखार फाइटरो को हरा कर हासिल किया था। अपनी ताकत के लिए जाने जाने वाले द ग्रेट खली वास्तव में वे विकलांगों की श्रेणी में आते हैं। वो 2009 के विशेष ओलंपिक के ब्रांड अंबेसडर भी रह चुके हैं। खली को द पंजाबी मॉन्सटर, द पंजाबी प्लेब्वॉय नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं वे ‘द प्रिंस ऑफ द लैंड ऑफ 5 रिवर्स’ के नाम से भी मशहूर हैं।
अपनी Wrestling के दम पर उन्होंने कई मुकाबले जीते और कई पुरुस्कार अपने नाम किये। उनकी इस प्रसिधी की वजह से वो मालामाल हो गये और उन्होंने इनमे से अधिकतर पैसो से अपने गांव का आर्थिक विकास किया था। अपनी लोकप्रियता के चलते उनको कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मो के ऑफ़र आये और उन्होंने कई फिल्मो में भी अभिनय किया लेकिन ज्यादा सफल नही रहे।
फिल्मो में नही चल पाने का सबसे बड़ा कारण उनकी आवाज थी क्योंकि एक तो वो हिंदी और अंग्रेजी सही तरीके से बोल नही पाते है और दूसरा उनकी आवाज बहुत भारी है जिसके कारण उनकी हर फिल्म में उनकी आवाज को डब करना पड़ा था। खली ने मशहूर टीवी शो बिग-बॉस में वाइल्ड कार्ड एंट्री के जरिए एंट्री की थी जहां द ग्रेट खली की एक हफ्ते की फीस 50 लाख रुपये थी। ये बिग-बॉस का चौथा सीजन था वह फर्स्ट रनर-अप भी बने थे।
हरमिंदर कौर के प्यार में डूबे खली:- द ग्रेट खली एक ऐसा नाम, जो जब भी रिंग में उतरता था तो सामने वाले के पसीने छूटने लगते थे। सात फुट तीन इंच लंबे भीमकाय शरीर को देखकर यह अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है कि बाहर से इतना कड़क लगने वाला खली अंदर से उतना ही मुलायम है। करीब दो क्विंटल वजन वाले खली के सीने में एक प्यार भरा दिल धड़कता है। आज का यह हीमैन कभी इश्क के दरिया में भी आकंठ डूब चुका है।
उन्हें मोहब्बत के मैदान में घुटने टेकने पर मजबूर करने वाली कोई और नहीं बल्कि उनकी पत्नी हरमिंदर कौर हैं। खली का असली नाम दलीप सिंह है। वे हिंदू हैं और हरमिंदर सिख परिवार से आती हैं। दोनों ने फरवरी, 2002 में हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक सात फेरे लिए। कौर देखने में अपने पति जसी लंबी-चौड़ी भले न हों, पर खली को उन्होंने ऐसा मोहा कि वह उन्हीं के हो कर रह गए। खली और हरमिंदर कौर एक बेटी भी है, जिसका नाम अवलीन राणा है।
‘द ग्रेट खली’ की अनसुनी बातें :- ‘द ग्रेट खली’ खली रोज शाम को 10 लीटर दूध , 20 उबले हुए अंडे , 5 ग्लास मिक्स जूस और 5 ग्लास अनार का जूस पीता था।
एक बार खली ‘द ग्रेट खली’ किसी मेहमान के यहां रुका तो वो 10 मिनट के अंदर 40 रोटिया , 4 किलो सब्जी और 8 कटोरे दाल पी गया तो उन मेहमान की पत्नी ने उनके पति से कहा “इनको वापस लेकर कभी मत आना।
रिंग में भी वो माँ काली बोलकर फाइट करता था इसलिए विदेशी रेसलर ने उनका नाम खली रख दिया। खली वैसे माँ काली का परमभक्त है।
एक बार खली ‘द ग्रेट खली’ जब होटल में खाना खाकर वापस अपने कमरे में लौट रहा था तब उसका पैर 40 प्लेटो पर पड़ गया और वो सभी प्लेटे एक सेकंड में चकनाचूर हो गयी।