दुनियाभर के वैज्ञानिक एचआइवी की रोकथाम और उसके बेहतर इलाज की दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं। ऐसे उपचार तलाश रहे हैं, जिनसे एचआइवी मरीजों को आसानी से ठीक किया जा सके।
अब इस दिशा में वैज्ञानिकों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। उन्होंने माचिस की तीली के आकार की एक ऐसी वैक्सीन युक्त डिवाइस विकसित करने में सफलता हासिल की है, जिसे शरीर में प्रत्यारोपित करने के बाद एक साल तक एचआइवी के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। हाल ही में शोधकर्ताओं ने इस डिवाइस का सफल परीक्षण कर यह दावा किया है। इस डिवाइस ने एचआइवी के इलाज की उम्मीद भी जगाई है। इसे उन मरीजों के लिए बेहतर विकल्प बताया जा रहा है, जो अभी तक गोलियों और टीकों पर निर्भर हैं।
शरीर में धीरे-धीरे दवा का रिसाव करती है यह डिवाइस
यह डिवाइस शरीर में एक निश्चित मात्रा में धीरे-धीरे दवा का रिसाव करती है, ताकि संक्रमण का खतरा लंबे समय तक कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि कई बार दवा की ज्यादा मात्रा (ओवरडोज) से शरीर में कई तरह का संक्रमण फैल जाता है, लेकिन नई डिवाइस से संक्रमण का जोखिम कम किया जा सकता है। वर्तमान में एचआइवी के मरीजों को इससे बचने के लिए हर रोज दवा की एक गोली लेनी पड़ती है, लेकिन इस डिवाइस के प्रत्यारोपण के बाद एक साल तक किसी भी दवा को लेने की जरूरत नहीं होगी।
यूएन की रिपोर्ट में यह आया सामने
इस महीने संयुक्त राष्ट्र ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि दुनियाभर में एड्स से होने वाली मौतों में 2010 के बाद से एक तिहाई गिरावट दर्ज की गई है। 2018 में लगभग 7,70,000 लोगों की मौत एड्स के कारण हुई थी। साथ ही रिपोर्ट में यह कहा गया है कि पूर्वी यूरोप और मध्य पूर्व सहित कुछ क्षेत्रों में संक्रमण की दर में वृद्धि दर्ज की गई, जो चिंता का विषय है।
इनमें सबसे ज्यादा खतरा
प्रत्यारोपण और महीने भर की दवा की खुराक में लगभग एक समान ही संघटक मौजूद हैं, जो एड्स के पीड़ितों को ज्यादा विकल्प प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो लोग एड्स के कारण सबसे अधिक जोखिम में हैं, वे अलग-अलग समुदायों के हैं। अमेरिका और यूरोप में गे समुदाय के लोगों में नए संक्रमणों का खतरा सबसे ज्यादा रहता है, लेकिन वैश्विक रूप से सर्वाधिक संक्रमण की दर अफ्रीका की महिलाओं में देखने को मिली है।