PM मोदी हम टीकाकरण कार्यक्रमों में अनुभव के साथ सबसे बड़े नेटवर्क में से एक हैं। राज्य सरकार की सहायता से, अन्य आवश्यक कोल्ड-चेन स्टोरेज और लॉजिस्टिक सपोर्ट को मापा जा रहा है। टीके के स्टॉक और वास्तविक समय की जानकारी के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर भी विकसित किया गया है।

टीकों की लागत को लेकर सवाल स्पष्ट है। केंद्र और राज्य सरकार एक ही बात पर चर्चा कर रहे हैं। वैक्सीन की लागत सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए तय की जाएगी और राज्य सरकारें इसमें प्रमुख भूमिका निभाएंगी।
हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टीकाकरण के दौरान अफवाहें न फैलाई जाएं, ऐसी अफवाहें जो देश विरोधी और मानव विरोधी हैं। इस प्रकार, सभी राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम सभी भारतीयों को इस तरह की अफवाहों से बचाएं।
भारत उन देशों में भी शामिल है, जहां पर कोरोना से होने वाली मृत्यु दर इतनी कम है। भारत ने जिस तरह कोरोना के खिलाफ लड़ाई को लड़ा है, वो प्रत्येक देशवासी की अदम्य इच्छाशक्ति को दिखाता है।
दुनिया की नजर कम कीमत वाली सुरक्षित वैक्सीन पर है, और इसलिए स्वाभाविक है कि पूरी दुनिया की नजर भारत पर भी है। कोरोना वैक्सीन को लेकर जो विश्वास इस चर्चा में नजर आया है वो कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई को और मजबूत करेगा। इस बारे में बीते दिनों में मेरी मुख्यमंत्रियों से चर्चा हुई थी। टीकाकरण को लेकर राज्य सरकारों के अनेक सुझाव भी मिले थे। पीएम मोदी ने कहा कि अभी आठ ऐसी वैक्सीन हैं, जो ट्रायल के चरण में बनी हुई हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर मिलेगी, वैज्ञानिकों की ओर से मंजूरी मिलते ही इसपर काम शुरू हो जाएगा। भारत एक विशेष सॉफ्टवेयर पर काम कर रहा है जो हर किसी को वैक्सीन पहुंचाने पर ट्रैकिंग करेगा।
पीएम मोदी ने बताया कि केंद्र सरकार बड़े स्तर पर वैक्सीन वितरण को लेकर काम कर रही है, जो राज्य सरकार की मदद से जमीन पर उतारा जाएगा। सरकार ने एक नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप बनाया है, जिसकी सिफारिश के अनुसार से ही काम होगा। वैक्सीन की कीमत क्या होगी, इसपर केंद्र और राज्य मिलकर फैसला लेंगे। कीमत पर फैसला लोगों को देखते हुए किया जाएगा और राज्य की इसमें सहभागिता होगी।
फरवरी-मार्च की आशंकाओं भरे, डर भरे माहौल से लेकर आज दिसंबर के विश्वास और उम्मीदों भरे वातावरण के बीच भारत ने बहुत लंबी यात्रा तय की है। अब जब हम वैक्सीन के मुहाने पर खड़े हैं तो वही जनभागीदारी, वही साइंटिफिक अप्रोच, वही सहयोग आगे भी बहुत जरूरी है।
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