ऑफिस-शेयरिंग कंपनी वी वर्क ने सोमवार को न्यू जर्सी संघीय अदालत में दिवालिया घोषित होने के लिए आवेदन दायर किया।
सॉफ्टबैंक के निवेश वाली कोवर्किंग कंपनी वी वर्क बड़े पैमाने पर कर्ज और भारी घाटे से जूझ रही है। जून के अंत तक वी वर्क पर 2.9 अरब डॉलर का नेट लॉन्ग टर्म डेट था और लॉन्ग टर्म लीज में 13 अरब डॉलर से अधिक थे। साल 2019 में वी वर्क की वैल्यूएशन निजी तौर पर 47 अरब डॉलर थी। कंपनी के शेयरों में इस वर्ष लगभग 96 प्रतिशत की गिरावट आई है। एक समय में कंपनी का वॅल्युएशन 47 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
कंपनी ने 2019 में पब्लिक होने की योजना की घोषणा की थी और इसके बाद से ही उथल-पुथल का सामना कर रही है। लॉन्ग टर्म लीज पर स्पेस लेकर उन्हें शॉर्ट टर्म के लिए किराए पर देने के बिजनेस मॉडल के चलते वी वर्क पर निवेशकों को पहले ही भरोसा कम था। उस पर भारी घाटे की चिंता ने काम और बिगाड़ दिया। यह 2021 में बहुत कम वैल्यूएशन पर सार्वजनिक होने में सफल रही।
वी वर्क इंडिया में एम्बेसी ग्रुप की 73 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि इसमें वी वर्क ग्लोबल की 27 परसेंट हिस्सेदारी है। वी वर्क इंडिया के भारत के 7 शहरों- नई दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में 50 केंद्र हैं।
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