विश्व ब्रेल दिवस: दृष्टिबाधित छात्रों ने खुद खरीदकर बांटे 22 सर्टिफिकेट

बीएचयू में विश्व ब्रेल दिवस पर नाटक का मंचन कर नेत्रहीन छात्रों ने अधिकारियों की आंखें खोल दी। इतना ही नहीं दृष्टिबाधित छात्रों ने खुद खरीदकर 22 सर्टिफिकेट बांटे।

बीएचयू के दृष्टिहीन छात्रों ने विश्व ब्रेल दिवस पर नाटक का मंचन कर बड़े-बड़े अधिकारियों की आंखें खोल दी। कला संकाय के राधा कृष्णन सभागार में 100 से ज्यादा दृष्टिबाधित छात्र और छात्राओं ने म्यूजिकल नाटक की प्रस्तुति देने के बाद उन्होंने अपना दर्द बयां किया।

कहा कि खुद के पैसों से सर्टिफिकेट खरीदकर 22 नेत्रहीन कलाकर विद्यार्थियों में बांटना पड़ा। मंच के माइक और साउंड से लेकर आमंत्रण पत्र बनवाने में भी विश्वविद्यालय से मदद नहीं मिली। केवल सभागार मुफ्त में मिला।

छात्रों ने कहा कि बीएचयू के आला अधिकारियों को इस कार्यक्रम को मनाने के लिए दो महीने तक पत्राचार किए, लेकिन इस कार्यक्रम को लेकर कोई उत्सुकता नहीं दिखाई दी। कला संकाय के दो रिसर्च स्कॉलर्स ने अपने फेलोशिप के पैसों को मिलाकर ये पूरा कार्यक्रम कराया।

इससे पहले मंचन अपना दर्द बयां कर विश्व ब्रेल दिवस मनाया। तबला, हारमोनियम, की-पैड, ड्रम, ढोलक और गिटार लिए नेत्रहीन छात्रों की संगत पर छात्राओं ने देश भक्ति गीतों पर अपना शानदार सुर लगाया।

होस्ट से लेकर कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने वाला हर कोई आंख से नहीं देख सकता था। इन्होंने अपने गले और रचनात्मक अंदाज से हर किसी को मोह लिया। राम आशीष विश्वकर्मा ने मेरा अधिकार नाम से नाटक भी किया। अमर ब्रेल कविता की प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम में चीफ प्रॉक्टर प्रो. शिव प्रकाश सिंह, कला संकाय के प्रमुख प्रो. माया शंकर पांडेय, प्रो. अनुराग दवे, डॉ. विनायक दुबे समेत कई बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में हिंदी विभाग के दृष्टिबाधित शोध छात्र राहुल कुमार ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया। वहीं अंजू शर्मा, सविता और उनकी टीम द्वारा कुलगीत प्रस्तुत की गई। राम आशीष विश्वकर्मा, अनिल साहनी और इंद्रजीत साकेत शामिल हुए।

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