विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने गुरुवार को किर्गिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन शासनाध्यक्षों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में पूरी दुनिया आर्थिक मंदी, टूटी आपूर्ति श्रृंखला, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि इस हाल में एससीओ के सदस्य देशों के साथ आपसी सहयोग की जरूरत है।
चालू वित्त वर्ष में 6.3 प्रतिशत से बढ़ेगी भारत की जीडीपी
उन्होंने कहा कि विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इन सभी चुनौतियों के बाद भी लचीलापन दिखा रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.3 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ एससीओ सदस्य देशों के बीच व्यापार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि इस दौरान भारत-रूस के साथ व्यापर में तेजी से वृद्धि हुई है।
शंघाई सहयोग संगठन सदस्यों के साथ बढ़ा व्यापार
उन्होंने कहा कि पिछले साल इस संगठन के सभी सदस्य देशों के साथ व्यापार में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसको आगे की कई गुना बढ़ने की संभावना है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत स्थायी और पारस्परिक रूप से सदस्य देशों के साथ साझेदारी करने के लिए इच्छुक है। उन्होंने कहा कि हम क्षेत्र के भीतर व्यापार में सुधार करने का प्रयास करते हैं, हमें मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। भारत ने अपनी विकासात्मक यात्रा में इन सभी चिजों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी पहल को हमेशा सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए।
आर्थिक समृद्धि में सहायक बनेंगे IMEC और INSTC
उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि ग्लोबल साउथ को अपारदर्शी पहलों से उत्पन्न होने वाले अव्यवहार्य ऋण का बोझ नहीं उठाना चाहिए। मुझे विश्वास है कि भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा इस आर्थिक समृद्धि लाने में सहायक बन सकता है।