वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में 10.5 फीसद के जबरदस्त संकुचन का अनुमान जाहिर किया है। अप्रैल से जून तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की GDP (-) 23.9 फीसद पर रही।
फिच ने कहा है, ”इकोनॉमी को फिर से खोले जाने से वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान जीडीपी में मजबूत रिबाउंड की उम्मीद है। हालांकि, सुस्त और असमान रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं।”
रेटिंग एजेंसी ने कहा है, ”हमने इस वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को घटाकर (-) 10.5 फीसद कर दिया है। यह जून के ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक (GEO) के (-) 5 फीसद की तुलना में काफी बड़े संशोधन को दिखाता है।”
फिच ने अपने पहले के अनुमान में कहा था कि भारत की जीडीपी में पांच फीसद का संकुचन दर्ज किया जा सकता है।
एजेंसी का कहना है कि बहुत सी चीजें हैं जो ग्रोथ रिकवरी को आने वाले कुछ समय और मध्यम अवधि में अवरूद्ध कर रही हैं।
वहीं, घरेलू रेटिंग एजेंसी India Ratings and Research ने चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में 11.8 फीसद की दर से संकुचन का अनुमान लगाया है। एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को 18.44 लाख करोड़ रुपये की चपत लग सकती है।