वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है: वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय

आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 41वीं जीएसटी परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है, जिसमें से सिर्फ 97,000 करोड़ रुपये की कमी जीएसटी के क्रियान्वयन की वजह से हुई और बाकी का नुकसान कोविड-19 की वजह से हुआ है।
कमी को एकीकृत फंड से नहीं पूरा किया जा सकता

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जीएसटी संग्रह में कमी को भारत के एकीकृत फंड से नहीं पूरा किया जा सकता। पांडेय ने बताया कि अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि जुलाई 2017 से जून 2022 के ट्रांजिशन पीरियड के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाना है।

इस साल कोरोना वायरस महामारी के कारण जीएसटी संग्रह बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि जीएसटी मुआवजा कानून के अनुसार, राज्यों को मुआवजा दिया जाना चाहिए।

केंद्रीय सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीएसटी मुआवजे के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक रुपये जारी किए, जिसमें मार्च के लिए 13,806 करोड़ रुपये शामिल हैं। वित्त सचिव ने कहा कि 2019-20 के लिए जारी मुआवजे की कुल राशि 1.65 लाख करोड़ रुपये है, जबकि उपकर राशि 95,444 करोड़ रुपये थी।

वित्त मंत्री ने बताया कि पांच घंटे तक चली बैठक में राज्यों को दो विकल्प दिए गए हैं। केंद्र खुद उधार लेकर राज्यों को मुआवजा दे या फिर केंद्रीय बैंक से उधार लिया जाए। राज्यों को सात दिनों के भीतर अपनी राय देनी है। सात दिन के बाद एक फिर संक्षिप्त बैठक होगी।

सीतारमण ने कहा कि जब किसी भी विकल्प को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच सहमति बन जाती है, तो इस दिशा में तेजी से काम हो पाएगा। यह विकल्प केवल चालू वित्त वर्ष के लिए ही है। निर्मला सीतारमण ने राज्यों को कहा कि एफआरबीएम एक्ट के तहत राज्यों की उधार सीमा में सरकार 0.5 फीसदी की और छूट प्रदान कर सकती है।

बैठक में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के मुद्दे पर चर्चा हुई। कांग्रेस और गैर-राजग दलों के शासन वाले राज्य ने इस बात पर जोर दिया कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की सांवधिक जिम्मेदारी है। वहीं केंद्र सरकार ने कानूनी राय का हवाला देते हुए कहा कि अगर कर संग्रह में कमी होती है तो उसकी ऐसी कोई बाध्यता नहीं है।

 

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