एजेंसी/नई दिल्ली: शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ सीबीआई के निगरानी नोटिस (लुकआउट नोटिस) पर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। सूत्रों के हवाले से कथित तौर पर सीबीआई ने विजय माल्या को देश छोड़कर जाने से नहीं रोका। सूत्रों के अनुसार, माल्या जब देश छोड़कर जा रहे थे तो सीबीआई ने इमीग्रेशन विभाग से उन्हें रोकने के लिए नहीं कहा था। सूत्रों के हवाले से कहा गया कि सीबीआई ने इमीग्रेशन विभाग से सिर्फ माल्या के बारे में जानकारी देने को कहा था। बताया गया कि दो मार्च को इमीग्रेशन विभाग ने जांच एजेंसी को माल्या के देश छोड़कर जाने की जानकारी दी थी। गौर हो कि केंद्र सरकार ने बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि विभिन्न बैंकों से 9000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण लेने के बाद उसे कथित रूप से नहीं चुकाने को लेकर कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या हफ्ताभर पहले ही देश छोड़कर चले गए।
इमिग्रेशन विभाग के सूत्रों के हवाले से यह बताया गया कि माल्या के विदेश जाने से पहले सीबीआई को सूचना दी गई थी, लेकिन एजेंसी ने उन्हें रोकने के लिए नहीं कहा। ऐसे में अब यह बड़ा सवाल उठता है कि माल्या के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी होने के बावजूद वो भारत छोड़ने में कामयाब कैसे हुए।सीबीआई के निगरानी के नोटिस के बावजूद शराब व्यवसायी विजय माल्या देश छोड़कर निकल गए। बता दें कि माल्या आईडीबीआई बैंक का कर्ज नहीं चुकाने के मामले में जांच का सामना कर रहे हैं।
जांच एजेन्सी ने ठप पड़ी किंगफिशर एयरलाइन्स को ऋण देने वाले बाकी 17 बैंकों को भी आईडीबीआई बैंक की तर्ज पर उनके कर्ज को भी धोखाधड़ी से लिया गया कर्ज घोषित करने को कहा, जिसके बाद इन मामलों की जांच अपने हाथ में लेगी। सीबीआई सूत्रों ने दावा किया कि जांच एजेन्सी ने माल्या द्वारा देश से बाहर निकलने के लिये उठाये जाने वाले ऐसे किसी भी कदम को रोकने के लिए सभी निकासी बिंदुओं पर निगरानी का नोटिस जारी करने सहित कानूनी सम्मत सभी कदम उठाए थे, लेकिन इन सबके बावजूद राज्यसभा सांसद माल्या भागने में सफल रहे।
सूत्रों ने कहा कि जांच का सामना कर रहे एक व्यक्ति को देश छोड़ने से रोकने के लिए आव्रजन अधिकारियों को सतर्क करने के वास्ते निगरानी के नोटिस जारी किए जाते हैं। किंगफिशर एयरलाइन्स को ऋण देने वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम की अगुवाई कर रहे एसबीआई ने कंपनी के चेयरमैन माल्या से 7,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली के लिए उनके खिलाफ बेंगलुरु में डीआरटी का रुख किया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम ऋण चूक को धोखाधड़ी घोषित करने के लिए बैंक के साथ जोर जबर्दस्ती नहीं कर सकते। हम उन्हें केवल सलाह दे सकते हैं जोकि हमने किया। अब शिकायत करना बैंकों पर निर्भर है जिसके आधार पर हम कार्रवाई कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने अपने एफआईआर में माल्या, किंगफिशर एयरलाइन्स, कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी ए. रघुनाथन और आईडीबीआई बैंक के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि रिण सीमा के नियमों का उल्लंघन कर आईडीबीआई बैंक से 900 करोड़ रपये का रिण मंजूर किया गया था।