मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘पंचायत आजतक’ में वरिष्ठ कवि साहित्यकार राजेश जोशी ने विकास के नाम शहर की सभ्यता और संस्कृति बर्बाद करने का आरोप लगाया. सत्र मोडरेट कर रहे सईद अंसारी के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- “जिस व्यक्ति को विद्वता की वजह से पूरी दुनिया जानती है उस राजा भोज के हाथ में मध्यप्रदेश की सरकार ने तलवार पकड़ा दी वो भी उलटी”.
राजेश जोशी ने ये जवाब सईद अंसारी के सवाल कि गैस त्रासदी के बाद अबतक भोपाल में क्या बदला पर चर्चा के दौरान दिया. चर्चा में शायर मंजर भोपाली भी शामिल थे.
राजेश जोशी ने कहा,”बहुत कुछ बदला है. हर शहर जिस ढंग से बदलते रहे हैं भोपाल भी बदला है. भोपाल को प्रकृति ने बहुत सुंदर बनाया है. लेकिन योजनाकारों ने इसे ज्यादा बदसूरत किया है. मजेदार बात ये है कि भोपाल में ये दोनों चीजें साथ साथ हुई हैं.”
राजेश जोशी ने कहा, “भोपाल में अगर तीन चार मूर्तियों को छोड़ दें तो अन्य जो लगाईं गई हैं वो कला की दृष्टि से गलत हैं. यहां तक की राजा भोज की मूर्ति भी निकृष्ट है. कोई मूर्तिकार इसे बता सकता है. राजा भोज इसलिए जाने जाते हैं क्योंकि उन्होंने महान किताब लिखी. उन्होंने लिखा कि शहर कैसे बनाए जाते हैं. शहर की प्लानिंग कैसे की जाती है. ये संस्कृत का सबसे पुराना ग्रन्थ है. दुर्भाग्य से जब राजा भोज की मूर्ति बनाई गई तो उन्हें तलवार पकड़ा दी गई. जो विद्वता के लिए जाना जाता है. तलवार भी उलटी है.”
कहा, “विकास सुंदरता को ख़त्म नहीं करता, लेकिन अगर ग़लत विकास है तो सुंदरता को नष्ट करेगा. झील की सड़क का नाम VIP रोड नहीं रखना था. इसका नाम ताल घाट रखना चाहिए था. भोपाल में विकास, सड़के बनाने और चौड़ा करने के नाम पर बहुत सारे पेड़ काटे गए हैं. सड़कों को बनाने और चौड़ा करने के लिए जितने पेड़ काटे गए उतने लगाए नहीं गए. भोपाल की सड़के अच्छी बनी, पर दुर्भाग्य से उसकी हरियाली को नष्ट करने का काम भी किया गया.”
शायर मंजर भोपाली ने कहा, “सारी दुनिया में मुशायरों के लिए जाता हूं, लेकिन भोपाल जैसे शहर कम हैं. मेरे लिए कोई शहर खूबसूरत होता है क्योंकि उसके लोग भी बहुत खूबसूरत होते हैं. गुजरात या बिहार में जो चल रहा है उसे देखिए तो यहां (भोपाल और मध्य प्रदेश में) वैसा नहीं है. यहां सभी धर्मों के लोग आपस मिलजुल कर रहते हैं.” राजेश जोशी ने भोपाल की गलियों के बारे में अपनी सीरीज से कुछ कविताएं भी सुनाई. साथ ही भोपाल की खूबसूरती को लेकर मंजर ने नज्में पढ़ी.