केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में राहत एवं बचाव कार्य अभियान शनिवार को पांचवें दिन भी जारी रहा। मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए 1,300 से अधिक बचावकर्मियों, भारी मशीनों और अत्याधुनिक उपकरणों को क्षेत्र में लगाया गया है।
वायनाड में भारी बारिश के बाद मंगलवार तड़के बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं के बाद अब तक 218 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इनमें से 152 की शिनाख्त उनके परिजनों द्वारा की जा चुकी हैं। 206 लोग अभी भी लापता हैं।
इस भूस्खलन में वायनाड के चार गांव मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा पूरी तरह तबाह हो गए थे। मुंडक्कई और चूरलमाला के आवासीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बड़े पत्थर और पेड़ गिरे हैं, जिससे मलबे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने में मुश्किल हो रही है।
प्रशासन की ओर से बताया गया कि प्राकृतिक आपदा पीड़ित 518 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया और उनमें से 89 का अभी भी इलाज चल रहा है। इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने कहा कि 30 जुलाई को शुरू हुआ खोज और बचाव अभियान अंतिम चरण में पहुंच गया है।
जिला प्रशासन ने शुक्रवार को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों को अलग-अलग जोन में विभाजित किया था। जीपीएस की मदद से उन संभावित जगहों का मानचित्रण किया था जहां बचाव कार्य की जरूरत है। हवाई मार्ग से तस्वीरें ली थीं और सेल फोन का लोकेशन डाटा एकत्र किया था।
प्रशासन मलबे के नीचे दबे शवों की तलाश के लिए गहराई से सिग्नल एकत्र करने वाले रडार और खोजी कुत्तों की मदद भी ले रहा है। मलबे से निकाले जाने वाले जीवित लोगों की मदद के लिए क्षेत्र में बड़ी संख्या में चिकित्सक और एंबुलेंस तैनात की गई हैं। सेना के बनाए 190 फुट लंबे बेली पुल से राहत कार्यों में तेजी आई है।
इससे भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में भारी मशीनें और एंबुलेंस भेजना संभव हो पाया है। वायनाड, मलप्पुरम और कोझिकोड जिलों से होकर बहने वाली चालियार नदी के 40 किलोमीटर के इलाके में भी बचाव अभियान जारी है। इस नदी और उसके किनारों से 100 से अधिक शव और शरीर के अंग बरामद किए गए हैं।