वर्ल्ड कप मे बहस, पाकिस्तानी खिलाड़ी मैदान पर नमाज़ पढ़ सकते हैं, फिर धोनी क्यों नहीं…..

जब बात क्रिकेट और देश भक्ति की होती है तो भारतीय फैंस के जोश का कोई मुकाबला नहीं होता है. फिर चाहे क्रिकेटरों को भगवान की

तरह पूजना हो या फिर आर्मी के समर्थन में उतर जाना. किन्तु गुरुवार से एक ऐसा विवाद सामने आया है जिससे क्रिकेट और सेना का आदर जुड़ गया है. एम एस धोनी के ग्लव्स पर पैरा मिलिट्री फोर्स के बलिदान बैज के चिन्ह को हटाने का फरमान ICC ने दिया है. अब ICC के इस फैसले पर लोगों का कहना है कि जब मैच से पहले खिलाड़ी मैदान में नमाज़ पढ़ सकते हैं, तो फिर ग्लव्स में क्या अनुचित है. फैंस हैं कि मानने को राजी नहीं हैं और उन्होंने अब इसे सेना के सम्मान से जोड़ दिया है. उल्लेखनीय है कि एम एस धोनी, प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. ऐसे में उनके पास आधिकारिक तौर पर ये अधिकार है कि वह इस बैज का उपयोग कर सकते हैं. इसलिए धोनी ने सेना के प्रति सम्मान दिखाते हुए अपने विकेटकीपिंग ग्लव्स पर बलिदान मेडल का चिन्ह लगाया.

जब फैंस को पता चला तो हर कोई धोनी की प्रशंसा करने लगा. किन्तु इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) को ये बात गले नहीं उतरी. ICC ने बीसीसीआई को पत्र लिखकर अपील की है कि एम एस धोनी से अपील की जाए कि इस ग्लव्स का उपयोग न करें. जिस पर क्रिकेट जगत, सोशल मीडिया पर बड़ी बहस शुरू हो गई है. सोशल मीडिया पर कुछ लोग पाकिस्तानी टीम की तस्वीर पोस्ट कर रहे हैं, जिसमें खिलाड़ी मैदान पर ही नमाज़ पढ़ते नज़र आ रहे हैं. जबकि धोनी स्वयं लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं, अगर कोई पूरी टीम मैदान पर अपने धार्मिक भावनाओं को जाहिर कर सकती है तो फिर केवल ग्लव्स पर बैज लगाने से क्या समस्या है. 

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