विश्व बैंक (UN) का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने की उम्मीद है. इसके पीछे अहम वजह मजबूत बुनियादी सुधार, निवेश माहौल में सुधार, घरेलू उपभोग और व्यापार बेहतर होना है. भारत विकास रपट मई-2017 में विश्वबैंक ने सुझाव दिया है कि अर्थव्यवस्था में अधिक महिलाओं की भागीदारी से देश में दोहरे अंक की वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है.

यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी से भारत की वृद्धि पर थोड़ा असर पड़ा लेकिन पिछले वित्त वर्ष में मानसून बेहतर रहने से वृद्धि ठीक रही और अब चीजें सुधर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, 2017-18 में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी. सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी के 7.2 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है जो 2016-17 में 6.8 फीसदी दर से बढ़ा है.
जीएसटी से बढेगी रफ्तार
वर्ष 2019-20 में इसके बढ़कर 7.7 फीसदी होने की संभावना है. देश में निजी निवेश में सुधार हुआ है. विश्व बैंक के भारत में कंट्री निदेशक जुनैद अहमद ने कहा, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी और माल एवं सेवाकर जीएसटी के करीब पहुंचने से इसे अधिक गति मिलेगी क्योंकि यह कर व्यवस्था कंपनियों के कारोबार करने की लागत, माल के राज्यों के बीच आवागमन की लॉजिस्टिक लागत कम करेगी जबकि उनकी इक्विटी में कोई नुकसान नहीं होना भी सुनिश्चित करेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक निजी निवेश में सुधार के चलते 2019-20 में अर्थव्यवस्था में उच्च वृद्धि होने की उम्मीद है. विश्वबैंक ने यह भी कहा कि महिलाओं की अधिक भागीदारी के साथ भारत का जीडीपी और अधिक वृद्धि की क्षमता रखता है और यह पूरा एक फीसदी बढ़ सकता है.
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