हमारे शरीर का एक बायोलाजिकल क्लाक सूरज और चांद की रोशनी से नियंत्रित होता रहा है जो कि इन दिनों कृत्रिम रोशनी के कारण गड़बड़ा रहा है। अपने स्वास्थ्य को नियंत्रित रखने के लिए बायोलाजिकल क्लाक का सही होना और अंधेरे में सोना आवश्यक है।
अँधेरे में सोने से होते है ये जबरदस्त फायदे:
रात के समय प्राकृतिक रूप से अंधेरा हो रहा होता है जबकि हम कृत्रिम रोशनी में पढ़ने की कोशिश करते हैं। बायोलाजिकल क्लाक इशारा करता है कि यह हमारे सोने का समय है जबकि कृत्रिम रोशनी हमें सोने नहीं देती। ऐसे में काम का बोझ और प्राकृतिक समय आपस में टकरा रहे होते हैं। हमें तनाव का एहसास होने लगता है।
यदि हम रात को सोते समय रोशनी जलाकर रखते हैं तो इसका रिश्ता कैंसर जैसी घातक बीमारी से है। इस सम्बंध में 10 साल तक हुए एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि सोने के माहौल में यदि रोशनी हो तो ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका में 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है।
कम रोशनी या नीली रोशनी में पढ़ने या सोने से मूड में कई किस्म के बदलाव होते हैं। संभवतः यह सकारात्मक नहीं है। जैसा कि पहले ही कहा गया है कि कम रोशनी तनाव और अवसाद का जरिया बनते हैं।