1996 से बीजेपी के पास रही नवादा सीट
2014 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो बीजेपी व जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) बिहार में 1996 से गठबंधन में चुनाव लड़ते रहे हैं। तब से ही यह सीट बीजेपी के कोटे में रही है। 1996 में बीजेपी के कामेश्वर पासवान, 1999 में संजय पासवान, 2009 में भोला सिंह यहां से चुनाव जीत चुके हैं। 2014 के चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह के बेगूसराय चले जाने के बाद गिरिराज सिंह यहां से चुनाव जीते।
ललन सिंह कर रहे मुंगेर सीट पर तैयारी
इस बार दुष्कर्म के जुर्म में जेल की सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राजबल्लभ यादव चुनाव नहीं लड़ सकते। लेकिन एनडीए में इस सीट को लेकर घमासान है। जेडीयू नेता व बिहार सरकार में मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने छह महीना पहले से ही मुंगेर से चुनाव लडऩे की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में एलजेपी की सांसद वीणा सिंह के लिए क्षेत्र बदलना अपरिहार्य हो गया है।
नवादा सीट पर एलजेपी कर रही दावा
एलजेपी सांसद वीणा देवी के पति सूरजभान सिंह 2009 में आरजेडी-एलजेपी गठबंधन में नवादा से चुनाव लड़ चुके हैं। वे बीजेपी के भोला सिंह के मुकाबले चुनाव हार गए थे। ऐसे में एलजेपी इस सीट पर दावेदारी कर रही है। एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस का कहना है कि एनडीए में जेडीयू के फिर से शामिल होने की वजह से हमारी एक सीटिंग सीट मुंगेर ली जा रही है तो इसके बदले हमें भूमिहार बहुल सीट चाहिए। नवादा से वीणा देवी के पति सूरजभान चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे में एलजेपी का इस सीट पर दावा स्वाभाविक है।
सीट को ले बीजेपी के अपने तर्क
इधर बीजेपी नेताओं का इस सीट को लेकर अलग तर्क है। संघ और बीजेपी नेताओं का मानना है कि यह सीट परम्परागत रूप से उनकी रही है। पिछले छह लोकसभा चुनावों में चार बार यहां से बीजेपी जीती है। दूसरा तर्क यह दिया जा रहा है कि जेडीयू के लिए अपनी सीटिंग सीट छोड़ रही है तो जेडीयू उसे अपने कोटे की कोई सीट छोड़े।
बड़ा सवाल: क्या नाराज हैं गिरिराज सिंह?
बहरहाल, नवादा सीट से एलजेपी की दावेदारी से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह खिन्न है। उन्होंने नेतृत्व को भी साफ कर दिया है कि चुनाव लडऩा होगा तो वे नवादा से ही लड़ेंगे। वे इन दिनों अस्वस्थ होकर दिल्ली में इलाज करा रहे हैं। पिछले दिनों पटना के गांधी मैदान की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्प रैली में उनकी अनुपस्थिति को भी इसी नाराजगी से जोड़ा रहा रहा है।