लोकसभा चुनाव : कश्मीर घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी का प्रचार अभियान शुरू

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कश्मीर में चुनाव प्रचार आरंभ करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने रविवार को कई रैलियां कीं. इसी बीच पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) नामक दल का ऐलान कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत पीडीपी के गढ़ माने जाने वाले दक्षिण कश्मीर से की. वहां उन्होंने जनसंपर्क अभियान चलाया. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आतंकवाद प्रभावित अनंतनाग जिले के खानाबल में एक रैली भी की.

घाटी की तीन सीटों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अभी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. लेकिन दक्षिण कश्मीर से उमर अब्दुल्ला का चुनाव प्रचार आरंभ करना इस बात का संकेत है कि पार्टी अपना खोया हुआ आधार पाने के लिए कमर कस चुकी है. 

कभी दक्षिण कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रभाव था लेकिन दो दशक से अधिक समय के दौरान यह पीडीपी का गढ़ बन गया. पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष असलम वानी ने कहा, ‘‘पार्टी के संसदीय बोर्ड की सोमवार को हो रही बैठक के बाद लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी.’’ 

पीडीपी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले से चुनाव प्रचार अभियान शुरू किया. पार्टी की रणनीति उन हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करने की है जहां पिछले कुछ बरसों में उसका आधार कम हुआ है.कुपवाड़ा जिले में सज्जाद गनी लोन की पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने पिछले पांच साल में अपनी पकड़ मजबूत की है. 2014 के विधानसभा चुनाव में पीडीपी अपने 

पक्ष में लहर होने के बावजूद कुलगाम जिले की चार में से केवल एक ही सीट जीत पाई थी. श्रीनगर के राजबाग इलाके में गिन्डुन मैदान में रविवार को पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने अपने राजनीतिक दल जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) की शुरुआत की.

इस साल जनवरी में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे चुके फैसल ने युवा केंद्रित राजनीति और केंद्र-राज्य व भारत-पाकिस्तान के बीच की दूरी को पाटने की दिशा में काम करने का वादा किया. उनकी पार्टी की शुरुआत के लिए आयोजित कार्यक्रम में राज्यभर से आए लोगों की संख्या चुनावी रैलियों के हिसाब से भले ही अधिक न रही हो, लेकिन इसे नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता.

कश्मीर घाटी में 1990 में आतंकवाद शुरू होने के बाद से लोकसभा चुनावों में मतदान का प्रतिशत कश्मीर में लगातार कम ही रहा है.

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