लॉकडाउन के बीच तपती धुप में हजारों मजदूर अपने घर जाने के लिए पैदल ही यात्रा करने को मजबूर

मुंबई से प्रवासी मजदूर राम प्रकाश गौतम बुधवार को वाराणसी पहुंचे। उनका कहना है कि वह भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं यहां सुरक्षित महसूस कर रहा हूं।’

राम प्रकाश मुंबई से एक कंटेनर ट्रक के अंदर छुपकर यात्रा कर रहे थे जिसे कि पुलिस ने रोका था। ट्रैफिक सर्किल अधिकारी अवधेश पांडे ने कहा, हमें दस्तावेजों में उल्लिखित सामान की बजाय कंटेनर ट्रक के अंदर 49 लोग मिले।

इन सभी प्रवासियों ने नौ मई को अपनी यात्रा शुरू की थी। ट्रक को उन्होंने डेढ़ लाख रुपये में किराए पर लिया था। गौतम ने कहा, ‘हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था।

हम पानी और बिस्कुट पर जिंदा रहे।’ उन्होंने दावा किया कि वह अपनी चार दिनों की यात्रा के दौरान केवल दो बार कंटेनर से बाहर निकले। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देश में जारी लॉकडाउन की वजह से प्रवासियों की आजीविका छिन गई है।

ऐसी स्थिति में हजारों मजदूर अपने घर जाने के लिए पैदल ही यात्रा करने को मजबूर हैं। कुछ भाग्यशाली प्रवासियों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विशेष ट्रेनों के जरिए अपने गृह राज्य जाने का मौका मिल रहा है।

वहीं कुछ बसों के जरिए अपने घर वापस जा रहे हैं। इसके बावजूद कई ऐसे हैं जो ट्रक किराए पर लेकर अपने घर जा रहे हैं। वहीं कुछ अन्य ऐसे भी हैं जो घर पहुंचने के लिए साइकिल चला रहे हैं।

गुरुवार को तीन राज्यों में हुई घटनाओं में 15 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। इसके साथ ही लॉकडाउन लागू (25 मार्च) होने के बाद से अब तक 110 मजदूरों की मौत हो चुकी है।

लगभग एक महीने तक मजदूर केवल पैदल चलकर, साइकिल चलाकर या ट्रकों के जरिए यात्रा करके अपने घर पहुंच रहे थे। इसके बाद कुछ राज्य सरकारों ने उनके लिए बसों का इंतजाम किया।

प्रवासियों के इस तरह पलायन को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बसों के जरिए अंतर-राज्यीय परिवहन की इजाजत दे दी, जिसपर अप्रैल से पाबंदी थी।

हालांकि एक मई से प्रवासियों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया है। शुक्रवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि श्रमिक पैदल घर न जाएं और विशेष बस या ट्रेनों के जरिए ही यात्रा करें।

 

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