रेवाड़ी के यादव नगर निवासी एवं पैतृक गांव कुंभावास से ताल्लुक रखने वाले बादल यादव के भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने के बाद पहली बार गृह नगर पहुंचने पर उनका भव्य और ऐतिहासिक स्वागत किया गया।
बूढ़पुर रोड स्थित कंकर वाली बगीची स्थित शिव मंदिर से बादल यादव को थार गाड़ी में सवार कर डीजे की धुनों के बीच उनके घर यादव नगर तक जुलूस के रूप में ले जाया गया। इस दौरान यादव नगर वासियों के साथ-साथ कुंभावास गांव के लोगों में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिला और लोग नाचते-झूमते नजर आए। बादल यादव की इस उपलब्धि से पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। उनकी माता संतोष यादव ने कहा कि आज उन्हें अपने बेटे पर गर्व है।
उन्होंने युवाओं से शिक्षा पर ध्यान देने और नशे जैसी बुराइयों से दूर रहने का संदेश दिया। पिता अशोक यादव, जो स्वयं सेना से सेवानिवृत्त कैप्टन हैं, उन्होंने इसे परिवार के लिए गौरव का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि उनका परिवार तीन पीढ़ियों से सेना से जुड़ा रहा है। बादल यादव के दादा स्वर्गीय मातादीन सूबेदार के पद से वर्ष 1970 में सेवानिवृत्त हुए थे, जबकि ताऊ मदन लाल भी सेना में सेवाएं दे चुके हैं। बादल यादव के नाना धनसिंह भी ओनरी कैप्टन के पद से वर्ष 1993 में सेवानिवृत्त हुए थे।
बादल यादव ने प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए थल सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी से कमांडेंट रजत पदक प्राप्त किया। वे अब भारतीय सेना की इंजीनियर रेजीमेंट में अपनी सेवाएं देंगे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल रेवाड़ी से प्राप्त की और पहले ही प्रयास में एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण कर परिवार, पैतृक गांव कुंभावास और पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया।
कुंभावास गांव में भी बादल यादव की इस उपलब्धि को लेकर गर्व और उत्साह का माहौल रहा। गांववासियों ने इसे क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि बादल यादव की सफलता से कुंभावास का नाम भी राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हुआ है। इस मौके पर नरेंद्र यादव, वेद प्रकाश, सुभाष यादव, हिमांशु यादव, मलखान सिंह, सुनील यादव, आयुष यादव, रोहतास नंबरदार, रायसिंह गोकलगढ़, हेमंत कुमार सहित सैकड़ों गणमान्य लोग और ग्रामीण उपस्थित रहे।
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