पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 में जीतकर सरकार बनाने वाले अमरिंदर सिंह ने ‘लाल बत्ती’ ‘वीआईपी कल्चर’ को खत्म कर दिया। इससे वहां के विधायकों को काफी परेशानी हो रही है। ये परेशानी विरोधी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस के विधायकों को भी है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए विधायकों ने बताया कि अब बाकी गाड़ियों की तरह उन्हें भी टोक टैक्स पर खड़ा होना पड़ता है, पैसे देने पड़ते हैं। कुछ ने यह भी कहा कि गाड़ी देखकर कोई मानता नहीं कि वे विधायक हैं।

एक की शिकायत यह भी थी कि अब कोई पुलिसवाला उनकी गाड़ी को देखकर सलाम भी नहीं ठोकता। पहली बार विधायक बने लोगों को भी सरकार का यह फैसला पसंद नहीं आया। पहली बार चुने गए कुछ विधायक बोले कि हमारे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है ? हमारे सभी सीनियर्स ने लाल बत्ती के मजे लिए हैं, अब हम विधायक बने तो लाल बत्ती ही खत्म कर दी। मंत्रियों को तो शक्तियां प्राप्त होती हैं, विधायक को तो सिर्फ लाल बत्ती ही मिलती है।
कांग्रेस की टिकट पर जीतकर पहली बार विधायक बने शख्स ने कहा, ‘मैंने शपथ लेने के बाद लाल बत्ती खरीदी थी। इसपर मैंने 2,500 रुपए खर्च किए थे। लेकिन अब यह घर पर पड़ी है। मैं पूरा दिन इसको देखता रहता हूं और अपने ऊपर हंसता रहता हूं। सोचता हूं कि मैं विधायक बना ही क्यों? अपने क्षेत्र में जाकर फाइलें एकत्रित करके मंत्री को लाकर देने के लिए ?’
बाकी विधायकों ने भी तरह-तरह की शिकायत की। एक ने कहा कि अब उसकी गाड़ी को बिना टोल टैक्स दिए आगे जाने नहीं दिया जाता। आईडी कार्ड देखकर भी लोग मानने को तैयार नहीं होते कि वह विधायक हैं। एक विधायक ने अपना किस्सा बताते हुए कहा कि टोल पर बैठे शख्स ने आईडी देखकर उनसे कहा था कि ऐसे कार्ड को तो कोई भी बनवाकर घूम सकता है। एक विधायक ने यह भी कहा कि टोल टैक्स, रेड लाइट आदि पर रुके रहने से उनका वक्त खराब होता है जिसकी वजह से बाकी कामों में देरी हो जाती है। यह निकाला रास्ता: लाल बत्ती की जगह अब कुछ विधायकों ने गाड़ी के पीछे ‘पंजाब सरकार’ लिखवा लिया है वहीं किसी ने गाड़ी के पीछे ‘पायलेट व्हीकल’ लिखवा लिया है। जिससे उन्हें निकलने में आसानी हो।
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