लापरवाही से सूखे सूरजपुर वेटलैंड के हजारों पेड़, दूषित पानी ने प्रवासी पक्षियों को किया दूर

पेड़ वन विभाग की नर्सरी के पास और वॉटर बॉडी के किनारे हैं। इसका मुख्य कारण दूषित जल है। वेटलैंड में सूरजपुर और दादरी के अलावा उद्योगों का दूषित पानी आ रहा है। इस कारण प्रवासी पक्षियों ने भी इससे दूरी बना ली है।

वन विभाग की लापरवाही से सूरजपुर वेटलैंड के हजारों पेड़ फिर सूख गए हैं। पेड़ वन विभाग की नर्सरी के पास और वॉटर बॉडी के किनारे हैं। इसका मुख्य कारण दूषित जल है। वेटलैंड में सूरजपुर और दादरी के अलावा उद्योगों का दूषित पानी आ रहा है। इस कारण प्रवासी पक्षियों ने भी इससे दूरी बना ली है।

करीब 360 एकड़ जमीन पर फैले सूरजपुर वेटलैंड के बड़े हिस्से में पानी भरा है। जहां हर वर्ष सर्दियों में प्रवासी और निवासी पक्षियों का जमवाड़ा लगता है। साथ ही यहां पर लोमड़ी, नील गाय समेत अन्य वन्य जीव भी रहते हैं, लेकिन कुछ साल से अनदेखी के कारण वेटलैंड को काफी नुकसान पहुंच रहा है। वेटलैंड के अंदर वॉटर बॉडी के आसपास के सैकड़ों पेड़ सूख गए हैं, जिन पर पक्षी अपना डेरा डालते थे। सूरजपुर से तिलपता चौक की तरफ जाने वाले रास्ते पर भी सैकड़ों पेड़ सूख गए हैं। बर्ड वाचर का कहना है कि वेटलैंड में दूषित पानी आ रहा है। जिसका असर पक्षियों के साथ-साथ हरियाली पर भी पड़ रहा है।

दादरी और सूरजपुर कस्बे से आ रहा पानी
पर्यावरणविद ने बताया कि वेटलैंड में दादरी की तरफ से एक नाला आ रहा है, जिसमें दादरी कस्बे के साथ-साथ वहां के उद्योगों का दूषित पानी आ रहा है। सूरजपुर कस्बे के कुछ हिस्से का पानी भी उसमें आता है। दूषित पानी में हानिकारक केमिकल होते हैं, जो पेड़ों और पक्षियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस संबंध में प्राधिकरण को कई बार पत्र लिखा जा चुका है।

पिछले साल भी सूख गए थे हजारों पेड़
पिछले साल भी सूरजपुर वेटलैंड के हजारों पेड़ दूषित पानी से सूख गए थे। तब यामाहा कंपनी को इसका जिम्मेदार ठहराया गया था। वन विभाग के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी जांच की। जांच के बाद यामाहा कंपनी के जल को वेटलैंड में जाने से रोका गया। साथ ही उस तरफ सूरजपुर कस्बे से आ रहे दूषित जल को भी रोका गया। उस तरफ नाला बनाने का भी काम चल रहा है।

बनी हैं अवैध कॉलोनियां
एनजीटी ने करीब तीन साल पहले जारी आदेश में वेटलैंड के 50 मीटर के दायरे में निर्माण पर रोक लगा दी थी, लेकिन सूरजपुर वेटलैंड के आसपास इसका पालन नहीं कराया गया। अफसरों की अनदेखी से आज वेटलैंड से सटाकर अवैध कॉलोनियां बसा दी गई हैं।

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