संसद सत्र: रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन मानता है कि ट्रैडिशनल लाइन के बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है. दोनों देश 1950-60 के दशक में इसपर बात कर रहे थे लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया.

चीन ने लद्दाख में बहुत पहले कुछ भूमि पर कब्जा किया था, इसके अलावा पाकिस्तान ने चीन को पीओके की भी कुछ भूमि चीन को सौंप दी. यह एक बड़ा मुद्दा है और इसका हल शांतिपूर्ण और बातचीत से निकाला जाना चाहिए.
सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी है. अभी LAC को लेकर दोनों देशों की अलग व्याख्या है. दोनों देशों के बीच शांति बहाल रखने के लिए समझौते हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि 1988 के बाद से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में विकास हुआ. भारत का मानना है कि द्विपक्षीय संबंध भी विकसित हो सकते हैं और सीमा का भी निपटारा किया जा सकता है. हालांकि इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ भी सकता है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि समझौते में कहा गया है कि जब तक सीमा का पूर्ण समाधान नहीं होता LAC का उल्लंघन नहीं किया जाएगा. 1990 से 2003 तक दोनों देशों में मिलीजुली सहमति बनाने की कोशिश की गई, लेकिन इसके बाद चीन इस दिशा में आगे नहीं बढ़ा.
अप्रैल माह से लद्दाख की सीमा पर चीन के सैनिकों और हथियारों में वृद्धि देखी गई. चीन की सेना ने हमारी पेट्रोलिंग में बाधा उत्पन्न की जिसकी वजह से यह स्थित बनी.
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे बहादुर जवानों ने चीनी सेना को भारी क्षति पहुंचाई है और सीमा की भी सुरक्षा की है. हमारे जवानों ने जहां शौर्य की जरूरत थी शौर्य दिखाया और जहां शांति की जरूरत थी शांति रखी.
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