बच्चियों को प्रभावशाली लोगों के पास भेजने से पहले ड्रग्स दिया जाता था ताकि उन्हें दर्द महसूस न हो। यह बात एक गवाह ने पुलिस के सामने दर्ज किए गए अपने बयान में कही है।उत्तर प्रदेश के देवरिया में बने मां विंध्यवासिनी महिला और बालिक संरक्षण गृह में युवा लड़कियों के साथ होने वाली बर्बरता का खुलासा इस साल अगस्त महीने में हुआ था।
इन बयानों को यूपी पुलिस की महिला सेल ने 6 अगस्त को रिकॉर्ड किया था। इन्हें 7 अगस्त को देवरिया पुलिस के पास दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 और 164 के तहत भेजा गया था। बाद में इसे उस चार्जशीट का हिस्सा बनाया गया जिसे कि यूपी पुलिस की एसआईटी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जमा करवाया है।
यह स्कैंडल बच्चियों के गायब होने से लेकर उनके साथ होने वाले यौन शोषण तक के इर्द गिर्द घूमता है। बच्चियों के साथ होने वाली हैवानियत की यह घटना तब सामने आई जब 11 साल की एक बच्ची किसी तरह बालिका गृह से बाहर निकलने में कामयाब रही। उसके गायब होने के बाद उस समय देवरिया के एसपी रहे रोहन कनय ने 5 अगस्त, 2018 को एक प्रेस कांफ्रेस की थी। जिसमें उन्होंने बालिका गृह की गतिविधियों का भांडाफोड़ किया था।
यूपी पुलिस की महिला हेल्पलाइन 181 पर 6 अगस्त को दर्ज करवाए गए बयान में 12 साल की लड़की ने आरोप लगाया कि बालिका गृह की मालिक गिरीजा त्रिपाठी लड़कियों को पैसों के बदले सेक्स के लिए प्रभावशाली लोगों के पास भेजने से पहले ड्रग्स देती है। हालांकि उसके बयान को देवरिया पुलिस ने मैजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 161 या 164 के अंतर्गत पेश नहीं किया।
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लड़की ने अपने बयान में कहा था, ‘हम लोगों को लड़कों के पास भेजने से पहले वो कोई दवा खिलाती थी। उसका कहना था इस दवा से तुम लोगों को दर्द नहीं होगा।’ वहीं 13 साल की लड़की ने अपने बयान में कहा, ‘बड़ी मैडम धमकाती थी, कहती थी मार डालेंगे। तुमको पुलिस के सामने कुछ नहीं बताना और यही पुलिस वाले जब आएंगे तो कुछ उठा कर मार देना और बड़े लोग आएंगे तो उनके साथ मौज-मस्ती करना।’ 12 साल की दूसरी लड़की ने पुलिस को बताया था कि वह बालिका गृह में केवल पांच महीनो से रह रही है और गिरीजा उसे 5-6 बार गोरखपुर भेजती है।