इस आशय की घोषणा केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने बजट सत्र में की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार वैवाहिक आयु को निर्धारित करने पर विचार कर रही है। इसके लिए एक टास्कफोर्स कमेटी का भी गठन किया गया है। जो छह माह में इस पर अपनी रिपोर्ट देगी।
सरकार के इस आदेश के पीछे सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला है। जिसमें कहा गया है कि लड़कियों को वैवाहिक दुष्कर्म से बचाने के लिए बाल विवाह को पूरी तरह से अवैध घोषित कर देना चाहिए। पर सुप्रीम कोर्ट ने भी विवाह की आयु पर फैसला लेने का निर्णय सरकार पर छोड़ दिया था।
इसके अलावा यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक भारत मे 27 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल तक कि आयु में और 7 फीसदी की 15 साल तक कि उम्र में हो रही है। जिसका सीधा असर कम उम्र में मां बनने और मां की प्रसव के दौरान मौत पर पड़ रहा है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक विवाह आयु में बढ़ोतरी से उनके बच्चे पैदा करने की आयु के सालों में भी इजाफा हो जाएगा। इससे सरकार को मातृ मृत्यु दर में भी कमी करने में मदद मिलेगी। अभी 2017 के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा प्रति एक लाख पर 122 है। जबकि बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्य में यह 188 प्रति एक लाख पर है।