ढाई माह के दुधमुंहे बच्चे की जलाकर हत्या करने के मामले में दोषी करार दिए गए अभियुक्त रामानंद यादव और राजू यादव को सत्र अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। विशेष जज रेखा शर्मा ने अभियुक्तों पर अलग-अलग 17 हजार 500 का जुर्माना भी लगाया है।

सरकारी वकील एमपी तिवारी व केके साहू के मुताबिक, इस मामले की एफआइआर अदालत के आदेश से थाना मड़ियांव में दर्ज हुई थी। 17 दिसंबर, 2005 को अदालत ने यह आदेश बच्चे के पिता राजेश कुमार सिंह की अर्जी पर दिया था। बच्चे की मौत की घटना इससे एक माह पहले का है। उस रोज राजेश का ढाई माह का बच्चा गोपाल झोपड़ी में अकेले बिस्तर पर सो रहा था।
राजेश मजदूरी करने गया था जबकि उसकी पत्नी सूलोचना परचून की दुकान पर गई थी। राजेश की अपने पड़ोसी अभियुक्तों से रंजिश थी। अभियुक्त उससे झोपड़ी खाली कराना चाहते थे। इसी रंजिश में अभियुक्तों ने बच्चे के बिस्तर में आग लगा दी थी।
पुलिस ने नहीं दर्ज की थी एफआइआर : राजेश ने इस वारदात की सूचना थाना मड़ियांव को दी। पुलिस ने लिखा पढ़ी के बाद बच्चे की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। फिर रात में राजेश को थाने ले गई। दारोगा एसपी सिंह ने डरा-धमकाकर उससे कागज पर यह लिखवा लिया कि बिस्तर पर मोमबत्ती गिरने से आग लग गई और बच्चे की मौत हुई।
राजेश ने दूसरे दिन इसकी लिखित शिकायत एसओ से की। एसओ ने अभियुक्त रामानंद को पकड़ा लेकिन चार दिन बाद छोड़ दिया। उसकी तहरीर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। तब उसने एसएसपी को अर्जी दी। 24 नवंबर, 2005 को अखबारों में खबर प्रकाशित हुई कि पांच हजार लेकर मड़ियांव पुलिस ने अभियुक्त को छोड़ दिया और मुकदमे में क्लीन चिट देने के लिए 20 हजार अलग से मांगे हैं।
पुलिस के आला अधिकारियों से भी इंसाफ नहीं मिलता देख राजेश को अंत में अदालत से गुहार लगाना पड़ा। तब जाकर अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। विवेचना के बाद पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ आइपीसी की धारा 304, 436, 506 व 427 में आरोप पत्र दाखिल किया।
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