किसान आंदोलन का असर आसपास के जिलों व दिल्ली से आने वाली रोजमर्रा की सब्जियों और फलों पर भी देखने को मिल रहा है। किसान सब्जी लेकर मंडी नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसकी वजह से सब्जी उगाने वाले किसानों की भी परेशानी बढ़ गई है। वह अपना माल मंडी की बजाए खेतों के आसपास के बाजारों में औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। आसपास के जिलों से मंडी में सब्जी नहीं आने से आवक भी कम हो गई है। इससे मंडी में सब्जियों के दाम भी बढ़ने शुरू हो गए हैं। कुछ दिन यही स्थिति रही तो लोगों को महंगी सब्जी खरीदनी पड़ेगी।
टीएचए की साहिबाबाद मंडी में दिल्ली के आसपास इलाकों समेत बुलंदशहर, मोदीनगर, मुरादनगर, हापुड़, गढ़, अमरोहा, मुजफ्फरनगर आदि जगहों से किसान सब्जी लेकर पहुंचते हैं। किसानों का आंदोलन चल रहा है। ऐसे में सब्जी उगाने वाले किसानों की भी मुसीबत बढ़ गई है। किसान सब्जी लेकर साहिबाबाद मंडी नहीं पहुंच पा रहे हैं। जगह-जगह तैनात पुलिस किसानों को दिल्ली बॉर्डर तक पहुंचने नहीं दे रही है।
सब्जी लेकर आने वाले किसानों को भी बीच में रोक दिया जा रहा है। इससे किसान सब्जी लेकर मंडी नहीं आ पा रहे हैं। सब्जी खराब नहीं हो, ऐसे में किसान मजबूरी में आसपास गांव में ही सस्ती सब्जी बेचने को मजबूर हैं। किसानों के मंडी नहीं पहुंचने से मंडी में लौकी, तोरी, खीरा, गोभी, पालक, शलजम, मूली आदि की आवक बेहद कम हो गई है। मंडी में सब्जियों की सप्लाई कम होने की वजह से सब्जियों के दाम भी बढ़ने शुरू हो गए हैं।
बुधवार को मंडी में दिल्ली से टमाटर की आवक बेहद कम रही। जबकि पहले कर्नाटक, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों से टमाटर आना शुरू हो जाता था। इससे ज्यादातर आढ़तियों को टमाटर नहीं मिला। हापुड़, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, अमरोहा, बुलंदशहर से मूली, पालक, धनिया, अदरक, शलजम समेत अन्य सब्जियों की आवक भी कम हो गई है। जिससे फुटकर विक्रेताओं को भी खाली हाथ लौटना पड़ा।
मंडी में आम दिनों में सब्जियों के 200 से 250 ट्रक पहुंचते हैं। किसान आंदोलन की वजह से ट्रकों की संख्या बेहद कम हो गई है। अब मात्र 180 से 190 ट्रक मंडी आ पा रहे हैं। आढ़तियों का कहना है कि सब्जी व फलों की आवक कम होने के अलावा दाम व ट्रांसपोर्ट के भाड़े में भी 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। जिसका असर अब फुटकर बाजार में आम लोगों पर पड़ सकता है।
आंदोलन से प्याज की गाड़ियां नहीं आ रही है। पहले 10 गाड़ियां आती थीं लेकिन अब चार ही गाड़ियां आ रही हैं। वह भी दिल्ली से आ रही हैं। गाड़ियों की कीमत भी अब 30 प्रतिशत बढ़कर तीन हजार रुपये महंगी पड़ रही है। इसका भार अब आम लोगों पर पड़ना तय है।
आमीर कुरैशी, प्याज के आढ़ती
बॉर्डर बंद होने से अब गोदाम में पुराने आलू की दो ही गाड़ियां आ रही हैं। नया आलू जो दिसंबर में आने लगता है वह नहीं आ पा रहा है। मंडी में ग्राहक भी कम होने से काम नहीं बिक रहा। इससे नुकसान तो हो रहा है। आने वाले दिनों में महंगाई भी बढ़ेगी।
आसिफ अली, आलू के आढ़ती
बुधवार को किसान आंदोलन से मंडी में टमाटर औसत भी नहीं आया। अभी दिल्ली से टमाटर आ रहा है। जबकि कर्नाटक और महाराष्ट्र से टमाटर नहीं आया है। पहले जो हम लोग 500 लोग क्रेट टमाटर मंगाते थे, वो सिर्फ 200 पर रुक गया है। गाड़ियों पर भी 15 से 20 हजार रुपये महंगा पड़ रहा है।
नवाब, टमाटर के आढ़ती
सब्जी और फलों की आवक कम हो रही है। इस पर लगातार नजर रखी जा रही है। टमाटर की आवक बुधवार को नहीं हुई थी। फिलहाल आवश्यक सब्जी और फलों की आवक में ज्यादा कमी नहीं है। आढ़ती और लोगों से रोजाना बातचीत कर रिपोर्ट तैयार हो रही है।
– विश्वेंद्र सिंह, सचिव, मंडी समिति