एजेंसी/देश में कालाधन आने से रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी सूचनाएं देश की खुफिया एजेसियों, आईबी और रॉ के साथ साझा करेगा।
आर्थिक अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अधिया की अगुवाई वाली एक सरकारी समूह की हालिया बैठक में इस बारे में फैसला किया गया। कैबिनेट सचिवालय ने टैक्स हेवेन देशों की कंपनियों द्वारा देश में निवेश पर चिंता जताई थी।
रिसर्च एंड ऐनालिसिस विंग (रॉ) कैबिनेट सचिवालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ही काम करती है। इस तरह की कंपनियों की फंडिंग के स्रोत पर निगाह रखने के लिए कैबिनेट सचिवालय ने सुझाव दिया था कि वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) इस तरह की इकाइयों तथा निवेश का डेटाबेस रखे। बाद में इस सुझाव को खारिज कर दिया गया।
अधिकारी ने कहा कि महसूस किया गया कि वे इसका डेटाबेस तैयार करें और इसे आईबी और रॉ के साथ साझा करें। रिजर्व बैंक से यह भी कहा गया है कि वह इस सूचना को अपनी वेबसाइट पर डालने पर भी विचार करे।
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं निवेश सम्मेलन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2015 में भारत में एफडीआई का प्रवाह लगभग दोगुना होकर 59 अरब डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी निवेश भारत के लिए इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि उसे 2012-13 से 2016-17 के दौरान करीब 1,000 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।
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