ऑस्ट्रेलिया की एक हाइकोर्ट ने एक अजीबोगरीब फैसला सुनाया है। हाइकोर्ट के आदेश में एक घटना का जिक्र है। एक शख्स जिसने एक दशक पहले अपना स्पर्म(शुक्राणु) इसलिए अपने एक समलैंगिक दोस्त को दिया, ताकि वो बच्चा पैदा कर सके।

हाइकोर्ट के एक आदेश के अनुसार इस बच्चे पर स्पर्म डोनर का ही कानूनी अधिकार है। अदालत ने कहा कि क्योंकि स्पर्म डोनर का नाम ही बच्ची के जन्म प्रमाण पत्र में लिखा गया है, इस वजह से बच्ची के साथ उस आदमी का सीधा संबंध है तो वही उस बच्ची का पिता हुआ। लिहाजा अब इसको लेकर देखना होगा कि बच्ची अपने माता-पिता के साथ न्यूजीलैंड जाना चाहती है या नहीं।
वह शख्स – जो कानूनी कारणों से ‘रॉबर्ट’ के नाम से जाता है- उसने 2006 में कृत्रिम गर्भाधान के जरिए एक दोस्त को अपना स्पर्म(शुक्राणु) दान करने पर सहमति जताई थी। कोर्ट ने आदेश दिया कि भले ही रॉबर्ट बच्ची के साथ रह नहीं रहा था लेकिन इसके बावजूद रॉबर्ट की बच्ची की वित्तीय सहायता, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामान्य कल्याण में एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह समस्या तब निकलकर सामने आई जब 2015 में बच्ची की मां और उसके पार्टनर ने न्यूजीलैंड में बसने की सोची। न्यायाधीश मार्गरेट क्ली ने फैसला सुनाया कि पिता के खिलाफ दिए गए फैसले के लिए एक निचली अदालत गलत थी और निष्कर्ष निकाला कि बच्चे को ऑस्ट्रेलिया में रहना चाहिए ताकि उसके पास मुलाक़ात के अधिकार हो सकें। यह स्पष्ट नहीं है कि इस संबंध की बारीकियों को देखते हुए क्या मामला भविष्य के निर्णय के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।
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