Aurangabad की एक रैली में बोलते हुए सीएम एकनाथ शिंदे ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि भाजपा के साथ मुख्यमंत्री पद साझा करने का मुद्दा 2019 में बातचीत से सुलझ सकता था.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नावों के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मुख्यमंत्री पद साझा करने का मुद्दा बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता था. शिंदे ने औरंगाबाद जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोगों ने चुनावों के बाद ‘‘अड़ियल रुख’’ अपना लिया था, जिसका मतलब था कि वे भाजपा के साथ सरकार नहीं बनाना चाहते थे, जबकि दोनों दलों को जनादेश मिला था.
मुख्यमंत्री ने ठाकरे का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘कुछ लोगों ने कहा कि शिवसेना को पहले ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद मिलना चाहिए. अगर यह शर्त मानी जाती है तभी दोनों दलों के बीच सरकार बनाने के लिए बातचीत आगे बढ़ सकती है.’’ उन्होंने कहा कि इस अड़ियल रुख का मतलब था कि वे भाजपा के साथ सरकार बनाना ही नहीं चाहते थे, जबकि दोनों दल एक साथ विधानसभा चुनाव लड़े और जीते.
शिंदे ने कहा
शिंदे ने कहा, ‘‘चुनाव नतीजों के तुरंत बाद कुछ लोगों ने बात करना शुरू कर दिया कि विभिन्न विकल्प मौजूद हैं. शिवसेना के विधायक, कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन करने के पक्ष में नहीं थे.’’ उन्होंने कहा कि भाजपा ने जनता दल (यूनाइटेड) से अधिक सीट जीतने के बावजूद नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने का वादा निभाया. शिंदे ने कहा कि भाजपा उनके नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार में मुख्यमंत्री का पद ले सकती थी. उन्होंने पूछा, ‘‘मुझे भाजपा नेतृत्व ने कहा कि पार्टी के पास शिंदे धड़े से ज्यादा विधायक होने के बाजवूद, वह उन्हें मुख्यमंत्री बनाने पर राजी है. अगर हमने (भाजपा का प्रत्यक्ष जिक्र करते हुए) 2019 में कोई वादा किया होता तो हम इसका सम्मान करते. अब आप मुझे बताइए कि कौन सच बोल रहा है.’’