गुजरात के भुज में बमुश्किल एक हफ्ते पहले 68 लड़कियों से मासिक धर्म न होने का सबूत मांगा गया था। इसके लिए सभी को कॉलेज के रेस्ट रूम ले जाकर उन्हें अपने अंत:वस्त्र उतारने के लिए मजबूर किया गया।

अब सूरत में इससे भी शर्मनाक घटना घटी है। यहां सूरत नगर निगम (एसएमसी) ने गुरुवार को कथित तौर पर राज्य द्वारा संचालित अस्पताल में महिला क्लर्कों को अपने कपड़े उतारकर लंबे समय तक समूह में खड़े होने के लिए मजबूर किया गया। केवल इतना ही नहीं उनका गायनोकॉलिजिकल फिंगर टेस्ट किया गया और निजी सवाल पूछे गए।
महिलाओं को विवादित टू फिंगर टेस्ट से गुजरना पड़ा। अविवाहित महिलाओं से भी कथित तौर पर पूछा गया कि क्या वह कभी गर्भवती हुई थीं। कुछ महिलाओं ने आरोप लगाया है कि महिला डॉक्टर जिन्होंने गायनोकोलॉजी का टेस्ट किया वह उनके साथ अशिष्ट व्यवहार कर रही थीं।
वहीं पुरुष प्रशिक्षुओं को एक सामान्य फिटनेस टेस्ट से गुजरना पड़ता है जिसमें एक समग्र जांच के अलावा आंख, ईएनटी, हृदय और फेफड़े के परीक्षण शामिल होते हैं। तीन साल का प्रोबेशन पूरा होने के बाद कर्मचारी की सेवा की पुष्टि के लिए उसका फिटनेस टेस्ट अनिवार्य होता है।
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