गुरुवार के कारोबार में रुपया डॉलर के मुकाबले 65.36 के स्तर पर खुला। यह रुपए का बीते 5 महीने का निचला स्तर है। रुपए में आई इस कमजोरी की वजह बैंकों और निर्यातकों की ओर से अमेरिकी करेंसी की बढ़ती मांग रही है। रुपए में यह कमजोरी आज जारी हो रहे इन्फ्लेशन डेटा से ठीक पहले देखने को मिली है। वहीं बुधवार के कारोबार में रुपया 65.31 के स्तर पर बंद हुआ था।
डॉलर के मुकाबले इसलिए दुबला हुआ रुपया: ब्रोकिंग फर्म कार्वी कमोडिटी के हेड रिसर्च डॉ रवि सिंह के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी की तीन प्रमुख वजह रही हैं। पहला दुनिया के दो खेमों में तेजी से बढ़ रही जियो पॉलिटिकल टेंशन है जो कि नॉर्थ कोरिया एवं अमेरिका और रूस और सीरिया के बीच जारी है। दूसरी बड़ी वजह क्रूड की कीमतों में लगातार आ रहा उबाल है। वहीं तीसरा कारण एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) फंड इन्फ्लो में बीते चार माह से दिख रही सुस्ती है। रवि सिंह ने कहा कि स्टॉक मार्केट में बेशक रैली दिख रही है लेकिन यह डोमेस्टिक बायर्स की खरीद के चलते हैं।
कितना हाई और लो छू सकता है रुपया: डॉ रवि सिंह ने बताया कि अगर रुपए के मौजूदा ट्रेंड को देखें तो रुपया 66 के स्तर के आस पास कारोबार करता दिख सकता है। उन्होंने बताया कि रुपया हाल के एक दो महीनों में 64.80 से 65.90 के दायरे में कारोबार करता देखा जा सकता है।
रुपए के कमजोर से आम आदमी को होते हैं ये 4 नुकसान:
महंगा होगा विदेश घूमना: रुपए के कमजोर होने से अब विदेश की यात्रा आपको थोड़ी महंगी पड़ेगी क्योंकि आपको डॉलर का भुगतान करने के लिए ज्यादा भारतीय रुपए खर्च करने होंगे। फर्ज कीजिए अगर आप न्यूयॉर्क की हवाई सैर के लिए 3000 डॉलर की टिकट भारत में खरीद रहे हैं तो अब आपको पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी: अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है तो अब यह भी महंगा हो जाएगा। अब आपको पहले के मुकाबले थोड़े ज्यादा पैसे भेजने होंगे। यानी अगर डॉलर मजबूत है तो आपको ज्यादा रुपए भेजने होंगे। तो इस तरह से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई भारतीय अभिभावकों को परेशान कर सकती है। क्रूड ऑयल
होगा महंगा तो बढ़ेगी महंगाई: डॉलर के मजबूत होने से क्रूड ऑयल भी महंगा हो जाएगा। यानि जो देश कच्चे तेल का आयात करते हैं, उन्हें अब पहले के मुकाबले (डॉलर के मुकाबले) ज्यादा रुपए खर्च करने होंगे। भारत जैसे देश के लिहाज से देखा जाए तो अगर क्रूड आयल महंगा होगा तो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ेगी।
डॉलर में होने वाले सभी पेमेंट महंगे हो जाएंगे: वहीं अगर डॉलर कमजोर होता है तो डॉलर के मुकाबले भारत जिन भी मदों में पेमेंट करता है वह भी महंगा हो जाएगा। यानी उपभोक्ताओं के लिहाज से भी यह राहत भरी खबर नहीं है।
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