पैसे कमाने के लिए बिजली बोर्ड ने रिलायंस कंपनी को हिमाचल में अपने 25000 पोल यानी खंभे किराये पर दे दिए हैं। हिमाचल में पहली बार बिजली के खंभे किराये पर दिए गए हैं। रिलायंस कंपनी जियो की फाइबर अब जमीन के बजाय बिजली पोल पर ही बिछाकर लोगों को मोबाइल नेटवर्क देगी।
कंपनी ने हिमाचल में बिजली खंभों पर तारों के साथ अपनी केबल बिछाना शुरू कर दी है। बिजली के खंभे किराये पर देने को लेकर लोगों और विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। लोगों ने इसे सुरक्षा से खिलवाड़ बताया है। लोगों का सवाल है कि अगर कोई हादसा हुआ तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि प्रदेश में भाजपा से सरकार चल नहीं रही है। क्या सरकार कंगाल हो गई है, जो उसे हिमाचल में बिजली बोर्ड के खंभे किराये पर देने की नौबत आई।
हिमाचल बचाओ मंच के प्रदेशाध्यक्ष एसएस गुलेरिया ने सवाल उठाया कि मोबाइल नेटवर्क की कंपनी की केबल बिजली पोल में लगाने से अगर किसी की जान गई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। यह सरकार की कंगाली के संकेत तो नहीं।
सवाल तो यह भी है कि बोर्ड ने कई खंभे लोगों की निजी जमीन पर भी लगा रखे हैं। क्या निजी जमीन मालिकों से बोर्ड ने निर्णय लेने से पहले सहमति ली। नाम न छापने की शर्त पर बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त एक वरिष्ठ इंजीनियर अफसर ने कहा कि पोल किराये पर देने का फैसला गलत है। यह सुरक्षा से खिलवाड़ है।
19 सितंबर, 2019 को बिजली बोर्ड की बीओडी में रिलायंस कंपनी को हिमाचल के 25000 पोल किराये पर देने का निर्णय लिया गया। एक पोल का साल के लिए किराया 697 रुपये रखा गया। 8.7 करोड़ कंपनी ने एडवांस के तौर पर बोर्ड को दे दिए हैं। कंपनी ने पांच साल के लिए एग्रीमेंट किया है।
बिजली बोर्ड के चीफ मैटेरियल मैनेजमेंट अधिकारी मनोज कुमार उप्रेती ने बताया कि बोर्ड और जनहित में पारदर्शी तरीके से 25000 पोल रिलायंस कंपनी को किराये पर देने का फैसला लिया गया है। जन सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है।