कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। कुण्डली में राहु यदि कन्या राशि में है तो राहु अपनी स्वराशि का माना जाता है। यदि राहु कर्क राशि में है तब वह अपनी मूलत्रिकोण राशि में माना जाता है। कुण्डली में राहु यदि वृष राशि मे स्थित है तब यह राहु की उच्च स्थिति होगी। मतान्तर से राहु को मिथुन राशि में भी उच्च का माना जाता है। कुण्डली में राहु वृश्चिक राशि में स्थित है तब वह अपनी नीच राशि में कहलाएगा। मतान्तर से राहु को धनु राशि में नीच का माना जाता है। लेकिन यहां राहु के बारहवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें, जानिए।
कैसा होगा जातक : ‘गप्पबाज या शेखचिल्ली’ जैसा बुध का असर वैसा ही राहु का असर। मंगल यदि साथ बन रहा है तो शुभ होगा। ससुराल की हालत अच्छी होगी। बारहवां घर बृहस्पति से संबंधित होता है इसलिए यह शयन सुख का घर है लेकिन यदि यहां स्थित राहु अशुभ है तो मानसिक परेशानियां और अनिद्रा देगा।
यदि राहु शत्रु ग्रहों के साथ हो तो आप कितनी भी मेहनत कर लें आपके खर्चे आपकी आमदनी से अधिक ही रहेंगे। किसी भी नए काम की शुरुआत में अशुभ परिणाम मिलते हैं। जातक मानसिक चिंताओं से घिरा रहकर आत्महत्या की चरमसीमा तक जा सकता है। झूठ बोलना, दूसरों को धोखा आदि देना राहु को और भी हानिकर बानाता है। चोरी, बामारी और झूठे आरोपों के लगने का भय बना रहता है इसलिए जातक को चाहिये कि वह अपना चरित्र उत्तम रखें।
1. फिजूलखर्ची से बचें।
2. किसी से भी झगड़ा न करें। ईर्ष्या न रखें।
3. बुरी संगत से बचें। चोरी या गबन का न सोचे।
4. गप्पबाज न करें और झूठ ना बोलें।
5. गुरु के मंदे कार्य न करें।
क्या करें :
1. रसोई में बैठकर ही भोजन करें।
2. माथे पर केसर का तिलक लगाएं और गुरु का दान करें।
3. गुरुवार का व्रत करें।
4. हनुमान चालीसा पढ़ते रहें।
5. रात में अच्छी नींद के लिए तकिये के नीचे सौंफ और खांड रखें।