तालकटोरा स्टेडियम में राहुल गांधी बोल रहे थे। देशभर से आई कांग्रेस पार्टी की महिला कार्यकर्ता हाथ उठाकर राहुल.. राहुल, के नारे लगाए जा रही थी। राहुल भी महिलाओं के लिए एक के बाद एक घोषणाएं करते रहे। मगर, एकाएक नारे बंद हो गए और महिलाओं के हाथ भी नीचे आने में देर नहीं लगी। जोशपूर्ण माहौल में अपनी घोषणाओं के बीच राहुल गांधी ने ऐसा क्या कह दिया। जी हां, उन्होंने कुछ ऐसा ही कह दिया था।
राहुल ने जब यह कहा, मगर मैं मुफ्त में कुछ नहीं करने वाला हूं, मैं अपनी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं, जज हूं, मेरी भी कुछ सीमाये हैं। ये सुनकर नारी शक्ति सन्न रह गई। राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा, महिला कांग्रेस के पास शक्ति तो जरूर थी, मगर खुद की पहचान नहीं थी।
आज महिला कांग्रेस को अपना झंडा मिल गया है। जब यह पूरे हिंदुस्तान में दिखेगा तो महिलाओं को अपनी प्रभावी भूमिका का अहसास भी होगा। यह मेरी सोच का एक हिस्सा है कि कांग्रेस पार्टी में 50 फ़ीसदी पदों पर महिलाओं की नियुक्ति हो। केवल संसद या विधानसभा में नहीं, बल्कि पार्टी संगठन में हर स्तर पर उन्हें पचास प्रतिशत पदों पर वरीयता मिले।
राहुल ने कहा, मेरे सामने शीला जी बैठी हैं। ये लंबे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही हैं। मैं चाहता हूं कि आगे जब कभी ऐसा सम्मेलन हो तो कम से कम चार-पांच ऐसी महिला बैठी हों, जो मुख्यमंत्री पद पर रही हों। जो महिला स्थानीय निकाय चुनाव में दो-तीन बार चुनी गई हैं, उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा। उन्हें पार्टी में अलग-अलग जिम्मेदारी मिलेगी। किसी महिला को चुनाव प्रचार कमेटी तो किसी को घोषणा पत्र तैयार करने में लगाया जाएगा। कोई महिला भाषण को संपादित करने तो किसी को नीति बनाने का काम मिलेगा।
….मगर मैं मुफ्त में कुछ नहीं करने वाला, राहुल गांधी ने जब यह कहा तो माहौल ठंडा पड़ गया। राहुल ने मौके को भांपते हुए कहा, मेरा मतलब है कि आप को इन सब जिम्मेदारियों के लिए खुद को तैयार करना होगा। आपको ज्यादा मेहनत करनी होगी, आपको लड़ना होगा। महिलाओं में फिर से जोश भर गया और वे राहुल राहुल के नारे लगाने लगी।