राफेल विमान Rafale fighter aircraft के आने से भारतीय वायुसेना की ताकत में निश्चित रूप से ऐतिहासिक इजाफा हुआ है। इससे भारत का न केवल दक्षिण एशिया में दबदबा बढ़ेगा, बल्कि चीन को भी घेरने में मदद मिलेगी।

भारत में राफेल की तैनाती सामरिक जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है। भारत ने उन बिंदुओं पर राफेल को तैनात करने की योजना बनाई है, जहां से वह पाकिस्तान और चीन पर त्वरित कार्रवाई कर सके।
सामरिक जरूरतों को करेगा
राफेल विमान 45 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है जो भारतीय वायुसेना में एक तरह से जेनरेशन का बदलाव होगा। यह विमान 24500 किलोग्राम भार को ले जाने में सक्षम है। यह शत्रुओं पर एक साथ 125 राउंड गोलियां एक साथ बरसा सकता है। ये गोलियां दुश्मन के होश उड़ा देगा। इस विमान में दो तरह की मिसाइल लगाई गई है। यह दुश्मन के हर दांव की काट रखता है।
चीन का विमान जे-20 पांचवी पीढ़ी का विमान है। इसे चीन में ही विकसित किया गया है। जी-20 के सफलतापूर्वक विकसित होने के बाद इसे चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स में बड़ी संख्या में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा चीन की वायुसेना में पहले से ही 600 से अधिक 4 व 4.5 जेनरेशन के विमान हैं।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार हमारे पास खुद की रक्षा करने की क्षमता है, जहां तक वायु शक्ति का संबंध है भारत और चीन के बीच अंतर बहुत अधिक है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अपने जे-20 के साथ, चीन अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है, जो लॉकहीड मार्टिन के बनाए F-22 और F-35 सहित पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट होने का दावा करता है।
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