रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर PM मोदी बोले, उनकी शौर्य गाथा देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बनी रहेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मीबाई को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनकी शौर्य गाथा देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बनी रहेगी। पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा, ‘ आजादी की पहली लड़ाई में अद्भुत पराक्रम का परिचय देने वाली वीरांगना रान लक्ष्मीबाई के उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। उनकी शौर्यगाथा देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।’

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके कहा, ‘रानी लक्ष्मीबाई ने अपने अद्भुत शौर्य व पराक्रम से अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाकर भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखा। उनके बलिदान व वीर गाथाओं से आज भी समस्त भारतवर्ष में देशभक्ति की भावना जग उठती है।1857 की क्रांति की महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर उन्हें नमन।’

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और हरदीप सिंह पुरी ने भी रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धांजलि दी।राजनाथ सिंह ट्वीट करके कहा, ‘रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वाधीनता संग्राम की वह अमर सेनानी हैं जिनके शौर्य, साहस और पराक्रम को यह देश कभी भुला नहीं सकता। भारत की आने वाली पीढ़ियां भी उनकी वीरता एवं बलिदान से प्रेरणा लेती रहेंगी। आज उनकी जयंती के अवसर पर मैं उन्हें स्मरण एवं नमन करता हूं।’

हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट करके कहा, ‘उन्होंने शक्तिशाली औपनिवेशिक साम्राज्य का डटकर सामना किया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक शानदार अध्याय लिखा। मैं  रानी लक्ष्मीबाई को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।’

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट किया, ‘मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाली रानी लक्ष्मीबाई, एक ऐसी महान वीरांगना थी जिनके हृदय में देशभक्ति की अग्नि, अविराम गति से प्रज्ज्वलित होती रहती थी। महिला सशक्तिकरण की प्रतीक व भारतीय वसुंधरा को गौरवान्वित करने वाली पुण्यात्मा की जयंती पर उन्हें कोटिश: नमन।’

महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से एक, रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 में वाराणसी में हुआ था। उनका मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उनका नाम मणिकर्णिका रखा गया।  उन्होंने 1857 के विद्रोह में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महज 30 साल की उम्र में उन्होंने अंग्रेजों के साथ युद्ध करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।

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