एक ओर जहां कई समाज पुरानी परंपराएं भुलाता जा रहे हैं वहीं आदिवासी परंपरा का भगोरिया मानो नए-नए अंदाज में निखरता जा रहा है। जिले के इस महत्वपूर्ण त्योहार पर भी नए परिवेश का असर हो रहा है लेकिन मूल भावनाएं कहीं न कहीं परंपराओं को फिर से जीवित कर देती हैं। आदिवासी पृष्ठभूमि के इस त्योहार में क्या बच्चा, क्या बूढ़ा और क्या जवान- इस तरह रंग जाते हैं मानो इस त्योहार में ही पूरी संस्कृति छिपी हो। छोटी-बड़ी हजारों दुकानों और मेला स्थल पर 100 से अधिक झूले-चकरियों के बीच मेला स्थल दोपहर को इतना भराया कि वहां पैर रखना भी मुश्किल हो रहा था। अगर यूं कहें कि झूला स्थल पर खुशियां झूमकर बरसी और बाकी जगह ग्राहकों को तरसी। रानापुर के भगोरिया में 150 से अधिक गांवों के लगभग 25 हजार ग्रामीण मस्ती में झूमते नजर आए।
एक ओर बच्चों के लिए सबसे अधिक खिलौने की दुकानें दिखाई दे रही थीं, दूसरी ओर गरमागरम भजियों के साथ माजम की मिठाइयों की भी खूब दुकानें सजी थीं। श्रृंगार समान की दुकानें दुल्हन की तरह सजी थीं। लगभग एक बजे बाद जैसे ही भगोरिया अपने शबाब पर आया, हर झूले पर ग्राहकों को इंतजार करना पड़ा। ग्रामीण युवतियां ड्रेस कोड में शामिल हुईं। युवा भी रंगीन चश्मों में मोबाइल से सेल्फी लेते हुए दिखाई दे रहे थे।
कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे
मेले में जोबट विधायक कलावती भूरिया खूब नाची। विधानसभा में कांग्रेस और लोकसभा में भाजपा की जीत के बाद दोनों दल बराबरी पर चल रहे थे लेकिन इस वर्ष होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए स्थानीय नेताओं को अपना पूरा दम दिखाने के लिए भगोरिया से अच्छा कोई मौका नहीं हो सकता था। ब्लॉक कांग्रेस ने लगभग 120 ढोल के साथ गेर निकाली जिसमें झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया, जोबट विधायक कलावती भूरिया शामिल थे। डॉ. विक्रांत भूरिया, पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा, मानसिंह वसुनिया, मयंक राठी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष चंद्रवीरसिंह, कमलेश सोलंकी, देवलसिंह परमार, रूपसिंह बामनिया, रूपसिंह डामोर, गौरव सक्सेना, दिनेश गाहरी, रोहित पाल के अलावा अनेक सरपंच, तड़वी और जनप्रतिनिधि भी गेर में शामिल थे।
भाजपा ने निकाली गेर
मेले में भाजपा ने भी ढोल-मांदल के साथ गेर निकाली जिसमें प्रमुख नेता पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल, शैलेष दुबे, मनोहर सेठिया, भानू भूरिया, सोमसिंह सोलंकी, महेश प्रजापत, रामेश्वर नायक, मुकेश मेड़ा आदि जनप्रतिनिधि मौजूद थे। भगोरिया मेले में अव्यवस्था हावी रही। शुक्रवार को जब झूले वाले गुजरी मैदान पर झूले लगना आरंभ किया, तब वहां न तो नगर परिषद का कर्मचारी उपस्थित था और न ही पुलिस के जवान थे। झूले मालिक अंधेरे में ही जैसे-तैसे अपने स्तर पर विद्युत व्यवस्था करके झूले लगा रहे थे। नगर परिषद मेला स्थल पर विद्युत व्यवस्था भी नहीं की गई।