पश्चिम बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट में कहा है कि वह राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव कराने को तैयार है, लेकिन संस्थान इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। हाईकोर्ट ने 365 कॉलेजों और 10 विश्वविद्यालयों को इस मामले में पक्षकार बनाया है। अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट को बताया कि वह राज्य के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव कराने के लिए तैयार है। हालांकि, सरकार ने कहा कि कॉलेज और विश्वविद्यालय खुद इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
यह बात राज्य के वकील कल्याण बनर्जी ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में पिछले कई वर्षों से छात्र संघ चुनावों के निलंबन को चुनौती दी गई है। सुनवाई कर रहे जज सुजॉय पाल और स्मिता दास डे की खंडपीठ ने आदेश दिया कि 365 कॉलेजों और 10 विश्वविद्यालयों को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए।
राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्र संघ के चुनाव कोरोना महामारी से पहले से ही स्थगित हैं। इस साल की शुरुआत में जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने चुनाव कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। विश्वविद्यालय में पांच साल से चुनाव नहीं हुए हैं। यह मांग कस्बा लॉ कॉलेज सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद और भी जोर पकड़ गई थी।
सुनवाई के दौरान कल्याण बनर्जी ने कहा, राज्य ने कहीं भी छात्र संघ चुनावों को रोक नहीं रखा है। वास्तव में चुनाव कराने के लिए एक परिपत्र भी जारी किया गया था। लेकिन कॉलेजों ने पहल नहीं की। इस दलील का जवाब देते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने अदालत से आग्रह किया कि वह यह जानकारी मांगे कि कौन-कौन से कॉलेज या विश्वविद्यालय चुनाव कराने से मना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, चुनाव कराने की जिम्मेदारी आखिरकार राज्य की है और अगर चुनाव नहीं होते हैं तो उसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को इस मामले में पक्षकार बनाने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई नवंबर में होगी।