क्रिकेटर के तौर पर सचिन तेंदुलकर के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं लेकिन बतौर राज्यसभा सदस्य सदन में एक बार भी बोले बिना उनकी पारी खत्म हो जाएगी। राज्यसभा में उनका कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं बना जिसके लिए उन्हें याद किया जाएगा। मनोनीत सदस्यों में अभिनेत्री रेखा भी सांसद के किरदार के साथ न्याय नहीं कर सकीं।
राज्यसभा में इस समय 12 मनोनीत सदस्य हैं, जिनमें से चार का कार्यकाल इसी सत्र में पूरा हो रहा है। पांच अप्रैल को बजट सत्र का दूसरा चरण समाप्त होगा, लेकिन इन सदस्यों के पास कामकाज के महज तीन दिन शेष हैं। मनोनीत सदस्यों की सक्रियता को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं।
सचिन, रेखा के अलावा अनु आगा 26 अप्रैल को रिटायर हो रही हैं। हालांकि अनु आगा लगातार सक्रिय रहीं और उन्होंने सदन में अपनी राय बेबाकी से रखी। के. पारासरन का कार्यकाल 28 अप्रैल को समाप्त होगा। मौजूदा मनोनीत सदस्यों में चार भाजपा से हैं जिनका कार्यकाल 2022 तक है। 1952 से अब तक राज्यसभा में 134 सदस्यों को मनोनीत सांसद का दर्जा मिला है।
सचिन ने पिछले साल 21 दिसंबर को राज्यसभा की पिच पर पहली बार खेलने का मन बनाया लेकिन उन्हें नॉन स्ट्राइकर की तरह 15 मिनट तक खड़े रहना पड़ा। उन्हें भाषण का शॉट दिखाने का मौका मिला लेकिन हंगामे और शोरशराबे के चलते सचिन की मेडन स्पीच (बिना बोले) नहीं हो पाई। सचिन खेल के भविष्य और खेलने के अधिकार को लेकर अपनी बात रखना चाहते थे। सचिन हाल के दो वर्षों में सदन में कम आए हैं।
अभिनेत्री रेखा को शायद सांसद का किरदार ही पसंद नहीं आया
2016 में उन्होंने सक्रियता से 22 लिखित प्रश्नों के जवाब भी मांगे हैं। जिसमें आठ प्रश्न रेलवे से जुड़े रहे हैं। सचिन ने युवा और खेल मंत्रालय, शहरी विकास और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंधित सवाल भी पूछे हैं। सचिन ने स्कूलों में योग और खेल को अनिवार्य बनाने जैसे विषयों पर भी अपनी राय रखी। 2016 में सूचना प्रौद्योगिकी पर बनी संसदीय समिति में बतौर सदस्य शामिल रहे।
सचिन को बोलने न देने और विपक्ष के हंगामे से सभापति वेंकैया नायडू आहत थे। उन्होंने राज्यसभा टीवी पर सीधे प्रसारण को रोकने और लीजेंड खिलाड़ी का अपमान होने की बात कही। तब बचाव में उतरीं जया बच्चन ने कांग्रेस सदस्यों को हंगामा न करने और सचिन को बोलने देने का अनुरोध किया। सचिन बोल सकें, इसकी कोशिश टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी की।
सचिन के साथ ही रिटायर हो रहीं अभिनेत्री रेखा को शायद सांसद का किरदार ही पसंद नहीं आया। लिहाजा उन्होंने पूरे कार्यकाल में कोई भी सवाल नहीं पूछा और न ही सदन में पहुंचकर सक्रियता दिखाई। 2016 में उन्हें खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों की कमेटी में शामिल जरूर किया गया लेकिन उनके कोई सुझाव भी नहीं मिले।
हालांकि रेखा के बचाव में उनके सहयोगी सांसद यही कहते रहे कि वह बाहर भी सामाजिक कार्यों से जुड़ी रहती हैं। मनोनीत सदस्यों की पैरवी करने वाली जया बच्चन ने सचिन को न बोलने देने पर कहा था कि इस तरह कोई भी नामित सदस्य बोलने का साहस नहीं करेगा। साधारण सदस्य तो बोल ही नहीं सकेंगे। सचिन संसद में नहीं आते हैं, मैं कहती हूं कि अच्छा है नहीं आते हैं, क्योंकि उनसे इस तरह का बर्ताव ठीक नहीं था।