राजस्थान में सरकार बचाने के लिए हर तरह के षडयंत्र रचे जा रहे हैं : बीजेपी नेता राज्यवर्धन राठौड़

राजस्थान में फोन टैपिंग मामले को लेकर भाजपा सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेरा और कहा कि सरकार बचाने के लिए हर तरह के षडयंत्र रचे जा रहे हैं। राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार से जब विधानसभा में लिखित में सवाल किया गया तो उन्हें इस बात को स्वीकारा कि फोन टैपिंग की गई है।

राज्यवर्धन राठौड़ ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब राज्य सरकार में अंतर्कलह चल रही थी, उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि अगर फोन टैपिंग हुई होगी तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। लेकिन आज कांग्रेस सरकार ही विधानसभा में इस बात को स्वीकार कर रही है कि फोन टैपिंग हुई है।

बता दें कि कथित फोन टैपिंग का मुद्दा मंगलवार को विधानसभा भी में उठा जहां इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दिए जाने पर भाजपा के विधायकों ने शून्य काल में हंगामा किया और नारेबाजी की। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।

विधानसभा अध्यक्ष ने इस बारे में सरकार द्वारा विधानसभा में दी गयी जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि इसमें फोन टैपिंग के बारे में कानून का जिक्र है और इसमें किसी व्यक्ति विशेष का फोन टैप किए जाने का जिक्र नहीं है और न ही स्थगन प्रस्ताव लाने वाले भाजपा विधायकों ने ऐसा कोई जिक्र किया है। इसलिए वे स्थगन प्रस्ताव खारिज करते हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल जुलाई अगस्त महीने में राज्य के कुछ जनप्रतिनिधियों के फोन टैप किए जाने के आरोपों के बीच भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने अगस्त में आहूत विधानसभा सत्र में एक तारांकित सवाल किया था। उन्होंने पूछा था, ‘क्या यह सही है कि विगत दिवसों में फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं ? यदि हां, तो किस कानून के अंतर्गत एवं किसके आदेश पर? पूर्ण विवरण सदन की मेज पर रखें।’

इसका जवाब अब राज्य विधानसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ। इसके अनुसार,’लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हित में या किसी ऐसे अपराध को प्रोत्साहित होने से रोकने के लिए जिससे लोक सुरक्षा या लोक व्यवस्था को खतरा हो टेलीफोन अन्तावरोध (इंटरसेप्ट) भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2), भारतीय तार अधिनियम (संशोधित) नियम 2007 के नियम 419 ए एवं सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 में वर्णित प्रावधान के अनुसार सक्षम अधिकारी की स्वीकृति उपरान्त किया जाता है।’

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