वैदिक काल से ही सूर्यदेव की उपासना की जाती है। सूर्यदेव की पूजा साक्षात रूप में की जाती है। पहले सूर्यदेव की उपासना मंत्रों से की जाती थी। बाद में मूर्ति पूजा का प्रचलन हुआ। सूर्यदेव की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर जीवन है। उनकी कृपा से हर रोग से मुक्ति पाई जा सकती है। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। आइए जानते हैं सूर्यदेव से जुड़े कुछ आसान से वास्तु उपायों के बारे में।

सूर्योदय के समय की किरणें स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम मानी जाती हैं। ब्रह्ममुहूर्त का समय असीम ऊर्जा का भंडार है। इस समय का सदुपयोग करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है, इस दिन पूरे परिवार के साथ सूर्यदेव की उपासना करें। भगवान सूर्य को तांबे के लोटे में जल, चावल, फूल डालकर अर्घ्य दें। रविवार के दिन लाल-पीले रंग के कपड़े, गुड़ और लाल चंदन का प्रयोग करें। रविवार के दिन फलाहार व्रत रखें। रविवार को सूर्य अस्त से पहले नमक का उपयोग न करें। तांबे की चीजों का क्रय-विक्रय न करें। रविवार के दिन घर के सभी सदस्यों के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। रविवार के दिन पैसों से संबंधित कोई कार्य नहीं करना चाहिए। इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। घर में कृत्रिम रोशनी के बजाए सूर्यदेव का प्रकाश आने दें। उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण नाम से जाना जाता है। इस दिशा का आधिपत्य सूर्यदेव के पास है। इस दिशा में बुद्धि और विवेक से जुड़े कार्य करें।
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