रवनीत सिंह बिट्टू 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे. उन्होंने लुधियाना से चुनाव लड़ा, लेकिन पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से 20942 मतों से हार गए. अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को कुल 3,22,224 वोट मिले, वहीं रवनीत सिंह बिट्टू को 3,01,282 मत प्राप्त हुए थे।
भाजपा ने रवनीत बिट्टू को पंजाब से टीम मोदी में लेकर पंजाब में जाट सिख चेहरे को आगे लाकर सूबे की भावी राजनीति की तस्वीर बनानी शुरू कर दी है।
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान लुधियाना की रैली में अमित शाह ने कहा था कि आप लोग रवनीत सिंह बिट्टू को वोट देकर जिताइए, मैं जल्द ही बिट्टू को बड़ा आदमी बनाऊंगा। पंजाब में 2027 में विधानसभा चुनाव है और भाजपा अब पंजाब की सत्ता की तरफ देख रही है। खुद रवनीत बिट्टू ने साफ कर दिया है कि उसका मिशन 2027 में पंजाब में भाजपा की सरकार लेकर आना है।
दरअसल, भाजपा की विचारधारा और मुद्दों के बीच बिट्टू ही एक ऐसा चेहरा है जो बिलकुल फिट बैठता है। राष्ट्रवादी विचारधारा से लेकर पंजाब में कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ मुखर होने में बिट्टू अव्वल है और पंजाब में भाजपा बिट्टू के जरिये उस विचारधारा को जमीनी स्तर पर पैदा करने की योजना में है। बिट्टू ने कहा भी है कि देश का कोई भी मुद्दा हो, चाहे वह अमृतपाल का मुद्दा, चाहे वह पाकिस्तान का मामला हो, क्योंकि हमारी बॉर्डर स्टेट्स है, चाहे वह किसानों का मुद्दा…मैं ही था अकेला आदमी जिसने इन मुद्दों को उठाया।
पंजाब के भारी संख्या में लोग आज भी शहीद बेअंत सिंह की कुर्बानी को दिल में संजोकर बैठे हैं जिनहोंने पंजाब से आतंकवाद को खत्म किया। पंजाब में आतंकवाद को खत्म करने पर ही आतंकियों ने उनको सचिवालय में बम से उड़ा दिया था। पंजाब के लोग आज भी बिट्टू में दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की तस्वीर देखते हैं।
ये हैं बिट्टू को मंत्री बनाने के पीछे के कारण
दरअसल, पंजाब में भाजपा ने जितने भी जट्ट सिख चेहरों पर अब तक दांव खेला है, वह भाजपा की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं। पंजाब में मजबूत जट सिख चेहरे कैप्टन अमरिंदर सिंह बिलकुल चुप होकर बैठ गए हैं। उनकी पत्नी परनीत कौर अपनी सीट नहीं बचा पाई हैं। उनकी बेटी बीबी जयइंद्र कौर भाजपा की महिला की प्रधान है लेकिन वह संगठन में सक्रिय नहीं हो पा रही हैं। इसके अलावा राणा गुरमीत सोढी, केवल ढिल्लों, फतेहजंग बाजवा, पूर्व राजनयिक तरनजीत सिंह संधू, बठिंडा से हारने वाली पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू पंजाब का चेहरा नहीं बन पाए हैं। भाजपा पंजाब में रवनीत बिट्टू में एक बड़ा जाट सिख चेहरा देख रही है, जो 2027 में पंजाब में भाजपा को सत्तासीन करवा सके।
मार्च 2021 में रवनीत सिंह बिट्टू को कुछ समय के लिए लोकसभा में कांग्रेस का नेता नियुक्त किया गया था, जब मौजूदा कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी 2021 के पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। रवनीत सिंह बिट्टू को 2023 में व्हाट्सएप कॉल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। बिट्टू को राजनीति विरासत में मिली है। उनके परिवार से तेज प्रकाश सिंह पंजाब के मंत्री रह चुके हैं। उनका भाई कोटली विधायक रह चुका है। उनकी बुआ गुरकंवल कौर पंजाब की कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं। लिहाजा पंजाब में भाजपा बिट्टू के जरिए दांव खेलने की तैयारी में है।
पंजाब से जितने मंत्री बने, सूबे में भाजपा की पैठ नहीं बना पाए..
पंजाब से 2014 से अरूण जेतली केंद्रीय मंत्री बने लेकिन भाजपा की हवा पंजाब में नहीं बना पाए। इसके अलावा विजय सांपला भी होशियारपुर से जीते थे और केंद्रीय राज्यमंत्री बने लेकिन फगवाड़ा में विधानसभा चुनाव में जमानत जब्त करवा बैठे। 2019 में पंजाब से हरदीप पुरी मंत्री बने लेकिन उन्होंने पंजाब में आना ही मुनासिब नहीं समझा। वहीं केंद्रीय राज्यमंत्री सोमप्रकाश बने लेकिन उनकी पत्नी होशियारपुर से लोकसभा चुनाव हार गई। लिहाजा, पंजाब में अब भाजपा का फोकस जाट सिख चेहरा है। वहीं भाजपा संगठन की कमान हिंदू चेहरे पर ही है। पंजाब में इतिहास इस बात का साक्षी भी है कि सूबे में जाट सिख ही सत्ता में आते हैं। भगवंत मान भी जाट हैं, कैप्टन व बादल भी जाट हैं। लिहाजा भाजपा एक ऐसे जाट चेहरे की तलाश में थी जो इन बड़े जाट चेहरों का मुकाबला कर सके।
पंजाब से हारने वाले चौथे नेता को मिली जिम्मेदारी..
पंजाब से अरुण जेतली चुनाव हार गए थे लेकिन उनको 2014 में केंद्र में मंत्री बनाया गया। अंबिका सोनी चुनाव हार गई थी लेकिन उनको राज्यसभा में भेजकर मंत्री बनाया गया। वहीं हरदीप पुरी चुनाव हार गए थे, उनको मंत्री बनाया गया। अब बिट्टू भी चुनाव हार गए हैं और उनको छह माह के भीतर राज्यसभा भेजकर सदस्य बनाया जाएगा ताकि मंत्री पद बरकरार रह सके।