रत्न ज्योतिष : इन 15 बातों से ऐसे समझिए नीलम रत्न पहनने के फायदे और नुकसान

रत्न ज्योतिष : इन 15 बातों से ऐसे समझिए नीलम रत्न पहनने के फायदे और नुकसान

ज्योतिष शास्त्र में जब किसी की कुंडली में कोई ग्रह प्रतिकूल प्रभाव दिखाता हैं तो उस व्यक्ति के जीवन में उसे तरह की परेशानियां होने लगती है जैसे बीमारी, धन हानि, मानसिक अशान्ति, असफलता और पारिवारिक कलह आदि। ज्योतिष में ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने और उसको अपने पक्ष में करने के लिए कई रत्नों को धारण करने की सलाह दी जाती है। इन्हीं रत्नों में एक रत्न होता है नीलम।रत्न ज्योतिष : इन 15 बातों से ऐसे समझिए नीलम रत्न पहनने के फायदे और नुकसान

ज्योतिशास्त्र के अनुसार नीलम रत्न का संबंध शनि से होता है। शनिदेव का मनपसंद रत्न नीलम को हर कोई व्यक्ति ऐसे ही नहीं पहन सकता। ज्योतिशास्त्र के अनुसार, नीलम जब किसी व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम देता है तो कुछ ही दिनों में वह उस व्यक्ति को सुख-संपदा और ऐश्वर्य से परिपूर्ण बना देता है और अगर बुरा प्रभाव देने पर आए तो व्यक्ति को भिखारी भी बना देता है। इसलिए नीलम रत्न बहुत ही जांच परख कर धारण किया जाना चाहिए है। आइए जानते हैं नीलम रत्न के बारे में कुछ जानकारियां…

– नीलम रत्न का प्रभाव बहुत ही तेजी से दिखता है। अगर यह रत्न आपके लिए अनुकूल नही हैं तो आंखों में तकलीफ महसूस होने लगती है।

– नीलम के प्रतिकूल होने पर दुर्घटनाएं और शारीरिक कष्ट बढ़ने लगते हैं।

– नीलम व्यक्ति के शुभ नहीं होने पर धारण करने वाले को तुरंत आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।

– नीलम अगर अनुकूल नहीं है तो बुरे और डरावने सपने आने लगते हैं।

– नीलम जिनके लिए अनुकूल और शुभ होता है उन्हें धारण करते ही शुभ फल देने लगता है। सबसे पहले तो स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी चल रही है तो उससे राहत मिलनी शुरू हो जाती है।

– नीलम शुभ होने पर धारण करने वाले व्यक्ति को आर्थिक लाभ मिलने के साथ नौकरी और व्यवसाय में उन्नति के संकेत भी शुरू हो जाते हैं।

– नीलम धारण करने के बाद आपके साथ कुछ अशुभ घटना न हो तब यह समझना चाहिए कि आपके लिए यह रत्न शुभ है।

– जन्म कुंडली में शनि की महादशा विपरीत हो तो उसके लिए नीलम बेहद शुभ होता है। नीलम पहनते ही कमजोर शनि का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
– नीलम रत्न पहने पर मन की एकाग्रता बढ़ने लगती है जिससे सफलता की दर भी बढ़ जाती है।

– जिन जातकों का जन्म वृष लग्न और तुला लग्न में होता है उनके लिए नीलम राजयोग की कारक होता है।

– नीलम को धारण करने से पहले उसका परिक्षण करके देखा जाता है कि पहनने वाले व्यक्ति के लिए यह अनुकूल है या नहीं।

– नीलम रत्न को घर पर लाने के बाद उसे गंगाजल से भरे किसी पात्र में रख देना चाहिए और शनिवार के दिन धारण कर इसके प्रभाव के बारे में ध्यान से देखना चाहिए।

– नीलम को शनिवार के दिन दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण किया जाना चाहिए।

– नीलम रत्न को पहनने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष से अपनी कुंडली दिखाकर सलाह जरूर लेनी चाहिए।

– अगर किसी की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में है तो नीलम धारण से परेशानियां और भी बढ़ जाती है।

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