रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग सीट पर दिलचस्प चुनावी मुकाबला

रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग सीट पर केंद्रीय मंत्री और 72 वर्षीय नारायण राणे का मुकाबला शिवसेना (उद्धव गुट) के दो बार के सांसद विनायक राउत से है। नारायण राणे कोंकण के कुडाल विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके हैं। राणे की पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का भाजपा में विलय भी हो चुका है। अब वे भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।

खारी समुद्री हवा एवं पथरीली जमीन पर मीलों तक खुशबू बिखेरते हापुस आम एवं काजू के बगीचे ये दर्शाते हैं कि कोंकण के लोग अपनी मेहनत से पत्थर पर भी हरियाली लाने में सक्षम हैं। इसके बावजूद यह क्षेत्र मनी-ऑर्डर अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, क्योंकि यहां हर परिवार के एक-दो सदस्य, या पूरा परिवार ही मुंबई में रहकर कमाता है।

शिवसेना का मजबूत गढ़ बना कोंकण

इस तटीय क्षेत्र का मुंबई से इतना जुड़ाव है कि जब बालासाहब ठाकरे ने मुंबई में शिवसेना की नीव रखी, तो धीरे-धीरे समाजवादी रुझान (समाजवादी नेता मधु दंडवते यहीं से चुनकर जाते थे) वाला कोंकण शिवसेना का मजबूत गढ़ बनकर उभरा। इसे ये पहचान देने में पूर्व शिवसैनिक नारायण राणे की बड़ी भूमिका रही है।

15 साल की उम्र में शिवसैनिक बने थे नारायण राण

बालासाहब ठाकरे का करिश्मा देखकर सिर्फ 15 वर्ष की आयु में शिवसैनिक बन जाने वाले नारायण राणे को बालासाहब के ही पुत्र उद्धव ठाकरे से पटरी न खाने के कारण शिवसेना छोड़कर पहले कांग्रेस, फिर भाजपा में आना पड़ा है। अब वह शिवसेना का मजबूत गढ़ रहे रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार हैं और उद्धव ठाकरे को उनके सबसे मजबूत गढ़ कोंकण से बेदखल करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं।

नारायण राण के सामने विनायक राउत

72 वर्षीय नारायण राणे का मुकाबला शिवसेना (उद्धव गुट) के दो बार के सांसद विनायक राउत से हो रहा है। नारायण राणे कोंकण के कुडाल विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि, 2014 में वह कांग्रेस के टिकट पर शिवसेना के वैभव नाइक से हार गए थे।

राणे की पार्टी का भाजपा में हो चुका विलय

2015 में वह मुंबई की बांद्रा (पूर्व) सीट पर हुए उपचुनाव में भी शिवसेना उम्मीदवार तृप्ति सावंत से हार चुके हैं, लेकिन उक्त दोनों चुनावों में शिवसेना उम्मीदवारों को भाजपा का समर्थन भी प्राप्त था। बाद में राणे की खुद की बनाई पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का भाजपा से गठबंधन होने पर उन्हें राज्यसभा भेजा गया और उन्हें केंद्र में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया। उनकी पार्टी का भाजपा में विलय होने के बाद अब वह रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के ही उम्मीदवार हैं।

दो जिलों में फैला है संसदीय क्षेत्र

रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग कोंकण के दो जिलों में फैला हुआ लोकसभा क्षेत्र है। रत्नागिरी जिले में चिपलूण, राजापुर और रत्नागिरि विधानसभा क्षेत्र आते हैं और सिंधुदुर्ग जिले में कणकवली, कुडाल एवं सावंतवाड़ी विधानसभा क्षेत्र। इनमें राजापुर और कुडाल को छोड़कर बाकी सभी विधानसभा क्षेत्रों पर इस समय भाजपानीत महायुति के ही विधायक हैं।

2009 में बेटा बना था सांसद

कणकवली से तो उनके छोटे पुत्र नितेश राणे ही विधायक हैं। यह गणित राणे के पक्ष में जाता है। 2009 में इसी लोकसभा क्षेत्र से उनके पुत्र नीलेश राणे भी सांसद चुने जा चुके हैं। राणे गोवा जैसे पर्यटन राज्य के पड़ोसी इस क्षेत्र में अपने द्वारा किए गए विकास कार्य गिनाते हुए जीतकर आने के बाद का एजेंडा भी बताते हैं।

उद्धव के सिर राणे ने फोड़ा ये ठीकरा

नारायण राण इस क्षेत्र में आकार नहीं ले सकीं दो बड़ी अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं – जैतापुर परमाणु ऊर्जा प्रकल्प एवं नाणार की सुपर रिफाइनरी परियोजना का ठीकरा उद्धव ठाकरे के सिर फोड़ते हैं। वह कहते हैं कि ठाकरे ने कोंकण के लोगों को निराश किया है। अगर बालासाहेब के बेटे ने विकास की राजनीति की होती तो कोंकण में बुनियादी ढांचे के मामले में चीजें बदल गई होतीं।

शिवसेना को उद्धव ने डुबो दिया: राणे

राणे से लोकसभा चुनाव के अभियान को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभियान बढ़िया चल रहा है। रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले के लोग मेरे परिवार के सदस्यों की तरह हैं। मैं तटीय कोंकण क्षेत्र से कई बार विधायक रहा हूं। कोंकण अवसरों की भूमि है।

हम इसमें नए अवसर लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वर्तमान सांसद विनायक राऊत ने केवल परियोजनाओं को रोकने और लोगों को गाली देने का ही काम किया।

इतने लोगों ने शिवसेना क्यों छोड़ी?

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के भविष्य की बात पर वह कहते हैं कि लोगों यह महसूस करना होगा कि बालासाहेब ठाकरे से जुड़े इतने सारे लोगों ने पार्टी क्यों छोड़ी? मेरे बाद राज ठाकरे चले गए और अब एकनाथ शिंदे और फिर कई अन्य लोग चले गए।

शिवसेना (उद्धव गुट) की ताकत अब पांच सांसद और 16 विधायकों की है। चार जून (मतगणना) के बाद उनकी सांसदों की ताकत शून्य हो जाएगी और उनके कई विधायक दूसरी पार्टियों में शामिल हो जाएंगे।

बाला साहेब बड़े दिल वाले व्यक्ति थे

दिवंगत बालासाहेब द्वारा सेवा के मिशन के साथ स्थापित की गई शिवसेना को उद्धव ने डुबो दिया है। बाला साहेब ठाकरे की कार्यशैली की तुलना उद्धव ठाकरे से करने की बात पर वह कहते हैं कि बाला साहेब से उद्धव का कोई मुकाबला नहीं। शिवसेना और भाजपा स्वाभाविक साझेदार होने के बावजूद, उन्होंने शरद पवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया। देखिए, उसका परिणाम क्या हुआ। बाला साहेब एक बड़े दिल वाले व्यक्ति थे।

  • कुल मतदाता: 14,51,620
  • पुरुष मतदाता: 7,14,945
  • महिला मतदाता: 7,36,673
  • रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र का हिस्सा है।
  • यह क्षेत्र पर्यटन, सी फूड्स (समुद्री खाद्य पदार्थ ), काजू, और हापुस आम के लिए जाना जाता है।
  • यह क्षेत्र एक ओर सुरम्य समुद्री तटों को छूता है, तो दूसरी ओर सह्याद्रि की हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा है। साथ ही, गोवा जैसे पर्यटन राज्य का पड़ोसी होने से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

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