मुंबई पुलिस में रहे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट, अंडरवर्ड की कमर तोड़ने वाले पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा ने यूपी पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया है. यूपी पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर शुक्रवार सुबह गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया.
प्रदीप शर्मा के मुताबिक, जब कभी ऐसे एनकाउंटर होते है तो लोग सवाल उठाते हैं लेकिन जब 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए तो कोई मानवाधिकार या एक्टिविस्ट सामने नहीं आया.
प्रदीप शर्मा ने एनकाउंटर को सही ठहराते हुए कहा कि ये असली एनकाउंटर है क्योंकि ड्राइवर उज्जैन से कार चलाकर आ रहा था, ड्राइवर को भी स्ट्रेस हो सकती है.
बारिश के चलते गाड़ी स्लिप हुई और विकास ने भागने की कोशिश की. साथ ही पुलिस पर भी फायर किया और 4 पुलिसवाले भी घायल हुए हैं. ऐसे में जवाबी कार्रवाई में वो मारा गया. पुलिस ने अच्छा काम किया है.
मुंबई में 100 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके प्रदीप शर्मा ने महाराष्ट्र पुलिस सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति का दामन थामा हुआ है. उन्होंने 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए नाला सोपारा सीट से बीजेपी-शिवसेना के टिकट पर इलेक्शन भी लड़ा लेकिन उन्हें हार मिली थी.
प्रदीप शर्मा को कुछ वर्षों के निलंबन के बाद दोबारा से बहाल किया गया था. उनको कथित गैंगस्टर लखन भैय्या के फेक एनकाउंटर में शामिल होने के आरोप में निलंबित किया गया था.
इस मामले में प्रदीप शर्मा और 13 अन्य पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उनको 2008 में निलंबित कर दिया गया था. हालांकि जब कोर्ट ने उनको मामले में बरी कर दिया, तो साल 2013 में उनको दोबारा से बहाल कर दिया गया था.
तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार उनको सेवा में दोबारा से लेने की इच्छुक नहीं थी, लेकिन जब उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनको दोबारा से बहाली नहीं दी गई, तो वो राजनीति जॉइन कर लेंगे, तो उनको बहाल कर दिया गया.
प्रदीप शर्मा ने 1983 में पुलिस सेवा ज्वॉइन की थी. इसके बाद 1990 के दशक में प्रदीप शर्मा समेत मुंबई क्राइम ब्रांच के कुछ पुलिस अधिकारियों को अंडरवर्ल्ड गतिविधियों का सफाया करने के लिए फ्री हैंड दिया गया था.
इन पुलिस अधिकारियों को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता है. इन्होंने 300 से ज्यादा गैंगस्टरों के एनकाउंटर का रिकॉर्ड बनाया. इससे इंस्पायर होकर कई बॉलीवुड फिल्मों में इन पुलिस अधिकारियों को ग्लैमर से भी जोड़ा गया.
बता दें कि कानपुर पुलिस के मुताबिक गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर का पूरा घटनाक्रम कुछ यूं हुआ. कानपुर के भौंती में जब गाड़ी पलटी तो मौके का फायदा उठाकर कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड विकास दुबे ने भागने की कोशिश की.
उसने पुलिसवालों के हथियार छीनकर भागने की कोशिश की. पीछा कर पुलिसवालों ने उसे घेर लिया और सरेंडर करने को कहा, लेकिन विकास दुबे पुलिस पर फायरिंग करने लगा.
कानपुर पुलिस और एसटीएफ की जवाबी फायरिंग में विकास दुबे बुरी तरह जख्मी हुआ. उसे कानपुर के हैलट अस्पताल लाया गया. अस्पताल में पहुंचते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया. उसे ब्रॉट डेड बताया गया यानी जब उसे अस्पताल लाया गया तो वो जिंदा नहीं था.