यूपी में भाजपा सरकार संवाद के बजाय तानाशाही रवैया अपनाने का काम कर रही: अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी की भाजपा सरकार नागरिकों को संविधान से मिले अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है।

किसी भी लोकतांत्रिक सरकार का यह काम नहीं है कि वह अपने नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों से वंचित करे और सार्वजनिक रूप से उसको बिना अदालती निर्णय के अपराधी घोषित कर दे। इन दिनों भाजपा सरकार राजधानी लखनऊ में एक पक्षीय विरोध को कुचलने का काम कर रही है।

अखिलेश यादव ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि पुलिस ने लखनऊ में होर्डिंग, पोस्टरों के जरिये सार्वजनिक तौर पर चार दर्जन से ज्यादा नागरिकों के फोटो लगाकर उनकी पहचान कराने को कहा है।

चौराहों पर इस तरह का प्रदर्शन किसी भी तरह नैतिक नहीं ठहराया जा सकता है। किसी को संदिग्ध मानकर उसको बिना दलील, बिना वकील के सीधे अपराधी की तरह प्रचारित कर देना कौन सी लोकतांत्रिक व्यवस्था है?

अखिलेश यादव ने कहा कि आक्रोशित जनता अगर भाजपा नेताओं के असली चेहरे वाली होर्डिंग लगा देगी तो भाजपा क्या करेगी? भाजपा सरकार संवाद के बजाय तानाशाही रवैया अपनाने का काम कर रही है।

भाजपा सरकार संवाद के बजाय तानाशाही रवैया अपनाने का काम कर रही है। लोकतंत्र लोकलाज से चलता है, लेकिन भाजपा को इसकी कतई फिक्र नहीं।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा भारतीय राजनीति का ऐसा चेहरा है जो लोकतंत्र को डराना अपना धर्म मानती है। भारत में संविधान से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू है।

भाजपा का लोकतंत्र में भी विश्वास नहीं है। असहमति का अधिकार भारतीय संविधान से प्राप्त है, लेकिन भाजपा तो लोकतंत्र की आवाज को ही बंद करना चाहती है।

अखिलेश यादव ने कहा कि सभी कायदे कानूनों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से जनसामान्य से पेश आना उनकी आदत हो गई है। नागरिक अधिकारों को कुचलने के लिए भाजपा सत्ता का दुरुपयोग करने में कोई संकोच नहीं करती है। भाजपा के कारनामों को जनता कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती।

बता दें राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में तोड़फोड़ कर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंंचाने वाले 57 उपद्रवियों के चेहरे सार्वजनिक किया है।

जिला प्रशासन ने उपद्रव के दोषियों के फोटोग्राफ पोस्टर और होर्डिंग पर उनके इलाकों और मुहल्लों में लगाए हैं, ताकि दूसरों को इससे सबक मिले। प्रशासन ने अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपये की वसूली जमा कराने के लिए आदेश जारी किए हैं।

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