उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सलाह दी है कि राज्य सरकार कोरोना संक्रमण के मामले में हठ छोड़कर पारदर्शी और जनहित की नीति अपनाएं.

प्रियंका गांधी ने अपने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार ने नो टेस्ट = नो कोरोना की नीति अपना रखी है. इसके तहत राज्य सरकार बहुत कम टेस्टिंग कर रही है.
अब राज्य में कोरोना विस्फोट की स्थिति है, इसलिए राज्य सरकार जब तक पारदर्शी तरीके से टेस्ट की संख्या नहीं बढ़ाएगी तब तक कोरोना के खिलाफ लड़ाई अधूरी रहेगी.
कांग्रेस महासचिव ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य सरकार ने दावा तो 1.5 लाख बेड की व्यवस्था का किया था, लेकिन 20 हजार एक्टिव केस आने पर ही बेड की मारामारी मच गई.
प्रियंका ने कहा कि राज्य के अस्पतालों में भयंकर भीड़ है तो सरकार मुंबई और दिल्ली की तर्ज पर अस्थाई अस्पताल क्यों नहीं बनवा रही है, उन्होंने कहा कि चिकित्सा सुविधा पाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है.
बनारस और लखनऊ का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी बनारस के सांसद हैं, राजनाथ सिंह लखनऊ से सांसद हैं, आखिर वाराणसी, लखनऊ, आगरा में अस्थायी अस्पताल क्यों नहीं खोले जा सकते हैं.
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, “यूपी में कोरोना की रफ्तार बढ़ने के साथ-साथ भयानक दिक्कतें सामने आ रही हैं. बेड की बड़ी किल्लत है. अस्पतालों के बाहर लंबी लाइन है. मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं.
कानपुर लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी से बदहाली की खबरें हैं. मैंने सीएम साहेब को पत्र लिखकर कुछ सकारात्मक सुझाव दिए हैं, यूपी सरकार को हठ छोड़कर एक पारदर्शी और जनहित वाली नीति अपनाने की जरूरत है.”
प्रियंका गांधी ने कहा कि योगी सरकार उनके सुझावों को राजनीतिक दृष्टिकोण से लेते हैं, ऐसा उन्हें तभी लग गया था जब उन्होंने पैदल घर जा रहे मजदूरों के लिए बस मुहैया कराने का इंतजाम किया था.
प्रियंका ने कहा कि वे सियासत से इतर योगी आदित्यनाथ को विश्वास दिलाना चाहती हैं कि यूपी के जनता के स्वास्थ्य और जीवन की रक्षा इस समय उनकी सबसे बड़ी भावना है.
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